देश के 1514 गांवों के 36,930 बच्चों का ज्ञान को परखते हुए रिपोर्ट बनाई गई है। कांगड़ा के पहली कक्षा में पढ़ने वाले 8.2 फीसदी बच्चे एक से नौ तक अंकों को बिल्कुल पहचान नहीं पा रहे हैं। 18.5 फीसदी बच्चे एक से नौ तक के अंक पहचानते हैं, लेकिन दस से 99 तक का ज्ञान नहीं है। दूसरी के 10.5 और तीसरी के 11.5 फीसदी बच्चे दस से 99 तक की गिनती के अंक नहीं पहचान नहीं पा रहे हैं। अंग्रेजी में भी पहली से तीसरी के बच्चों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।पहली के 34.1 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के वर्ण तो पहचानते हैं, लेकिन शब्दों की समझ नहीं है। दूसरी के 14.2 और तीसरी के 12.5 फीसदी बच्चों का भी यही हाल है। कांगड़ा में चार साल की आयु के 97.5 फीसदी और पांच साल की आयु के 80.4 बच्चे आंगनबाड़ी या प्री प्राइमरी स्कूलों में जा रहे हैं।
बीते दो साल में प्रदेश में प्री प्राइमरी स्कूलों को सरकारी क्षेत्र में खोला गया है, जबकि निजी क्षेत्र में लंबे समय से यह स्कूल चल रहे हैं। उधर, राष्ट्रीय स्तर की बात की जाए तो कक्षा एक में पढ़ने वाले 41.1 फीसदी छात्र अक्षर नहीं पहचान पाए, 32.9 फीसदी बच्चे शब्दों को पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। कक्षा एक के 28.1 फीसदी बच्चे 1 से 9 तक का अंक नहीं पहचान पाते।
भावनाओं की परख करने की समझ में भी है कमी
चार से आठ साल आयु के अधिकांश बच्चों में खुशी, उदासी, गुस्सा और डर की भावनाओं की समझ भी अभी नहीं है। चार साल की आयु के 39.1 फीसदी, पांच साल के 40.7, छह साल के 50.3, सात साल के 65.1 और आठ साल के 75.9 फीसदी बच्चे ही इन चारों भावनाओं को अभी समझ पा रहे हैं। इस सर्वे में बच्चों को खुशी, उदासी, गुस्सा और डर की भावनाओं को दर्शाते चेहरों वाले चित्र दिखाते हुए इनके बारे में पूछा गया था।
जिनकी माताएं शिक्षित उनकी गणितीय, भाषायी क्षमता बेहतर
रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि जिन बच्चों की माताएं अधिक पढ़ी लिखी हैं, उनकी गणितीय और भाषायी क्षमता तुलनात्मक रूप से बेहतर है। मां की शिक्षा और योग्यता का प्रभाव बच्चों की शैक्षणिक क्षमता पर पड़ता दिखा है।