खाद की किल्लत दूर करने के लिए आज लगेगा रैक, सात जिलों को होगी आपूर्ति

खाद की किल्लत दूर करने के लिए आज लगेगा रैक, सात जिलों को होगी आपूर्ति

झज्जर
डीएपी खाद की किल्लत को दूर करने के लिए रविवार को झज्जर में रैक लगाया जा रहा है, ताकि जिले के किसानों को खाद की परेशानी का सामना न करना पड़े। शनिवार को भी सोनीपत से झज्जर के किसानों के लिए करीब 2000 बैग डीएपी खाद आई है, जोकि प्राइवेट बिक्री खरीद केंद्रों पर वितरित की जाएगी। झज्जर में लगने वाले रैक से प्रदेश के सात जिलों को डीएपी खाद की आपूर्ति की जाएगी, लेकिन सबसे अधिक डीएपी की आपूर्ति झज्जर के किसानों के लिए की जाएगी। 

रैक लगने के बाद झज्जर को 700 एमटी डीएपी, रोहतक को 500, मेवात को 300, फरीदाबाद को 100, पलवल को 300, गुरुग्राम को 150 और सोनीपत को 150 एमटी डीएपी खाद की आपूर्ति की जाएगी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गेहूं की बिजाई करने पर किसानों को डीएपी व अन्य खादों की कमी नहीं आने दी जाएगी। झज्जर में रैक लगते ही रहेंगे और जिले को डीएपी खाद की सप्लाई मिलती रहेगी। अधिकारियों ने बताया कि झज्जर जिले को डीएपी खाद के लिए प्राथमिकता दी गई है। 

सरसों के साथ गेहूं की बिजाई शुरू
जिले में सरसों के साथ अब गेहूं की बिजाई भी शुरू हो चुकी है। जिले में करीब ढाई लाख एकड़ में गेहूं की बिजाई की जाती है। इसके हिसाब से जिले में करीब ढाई लाख बैग डीएपी की आवश्यकता होगी। अगर किसानों को गेहूं के लिए पर्याप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिला तो इस बार गेहूं की बिजाई भी प्रभावित हो सकती है। 

सरकारी खरीद केंद्र पर किसान पहुंचे, खाद नहीं
शहर की अनाज मंडी में डीएपी के लिए किसान सुबह ही पहुंच गए थे, लेकिन खाद न मिलने के कारण खाली हाथ लौटना पड़ा। जिले में सरकारी केंद्रों के बजाय प्राइवेट बिक्री केंद्रों पर डीएपी भेजा जा रहा है। जबकि शनिवार की सुबह ही शहर की अनाज मंडी में खाद बिक्री केंद्र पर किसानों की लंबी लाइन लग गई थी। किसानों को काफी इंतजार के बाद पता चला कि यहां पर खाद नहीं आई है और भैया दूज की छुट्टी है तो किसान लौट गए। किसानों को जब प्राइवेट डीलर के पास खाद पहुंचने की सूचना मिली तो वे वहां पर खाद लेने के लिए पहुंचे।

विभाग की ओर से दो हजार बैग निजी बिक्री केंद्रों पर डीएपी भेजा गया है। इसके अलावा रविवार को रैक लगने से सात सौ एमटी डीएपी खाद जिले को मिल जाएगा। जिससे किसानों को कुछ राहत मिलेगी। 
-डॉ. जसबीर सिंह, कृषि गुणवत्ता एवं नियंत्रण अधिकारी, झज्जर

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