कोरोना जांच के लिए एक्शन प्लान बनाए सरकार : दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली

दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)

तेजी से बढ़ते मामलों के कारण दिल्ली देश में पहले स्थान पर पहुंची
दिल्ली में कोविड19 से मौत का आंकड़ा भी बढ़कर 2365 पहुंच गया है
कोर्ट ने प्रत्येक श्रेणी में की गई कोविड19 टेस्टिंग का ब्यौरा भी मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार को बृहस्पतिवार को निर्देश दिया  कि वह कोविड19 टेस्टिंग के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करके दें, चूंकि दिल्ली में 24 जून को सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले मिलने के बाद यह बेहद जरूरी है, ताकि इस संक्रमण को और फैलने से रोक जा सके।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि दिल्ली में एक दिन में 3788 कोरेना संक्रमण के नए मामले मिलना गंभीरता का विषय है और दिल्ली में कोविड19 से मौत का आंकड़ा भी बढ़कर 2365 पहुंच गया है।
तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण दिल्ली देश में सबसे ज्यादा कोविड19 प्रभावित बन गई है। इसपर पीठ ने कहा कि कोविड19 टेस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार एक एक्शन प्लान तैयार करे और इस संबंध में हलफनामा पेश करें।
इसके साथ ही पीठ ने दिल्ली सरकार से अब तक की गई प्रत्येक श्रेणी में की गई कोविड19 टेस्टिंग का ब्यौरा भी मांगा है। इसके अलावा पीठ ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे 23 जून को आईसीएमआर की ओर से निजी अस्पतालों में रैपिड एंटिजेन टेस्ट शुरू करने के संबंध में जारी किए गए दिशा निर्देशों को अपनी बेव साइट पर अपलोड करें, ताकि लोगों को इस बारे में विस्तृत रूप जानकारी मिल सके।

कोर्ट ने कहा कि रैपिड ऐंटिजेन टेस्ट के जरिए लोग 15-20 मिनट में कोरोना संक्रमण की स्थिति का पता लगा सकेंगे, जिसके लिए उन्हें इस बारे में जागरूक होना बेहद आवश्यक है। इस मामले में दायर की गई स्थित रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि कोविड19 परीक्षण को लेकर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सलाह पर उपराज्यपाल द्वारा बनाई गई टीन ने 23 जून मीटिंग की।

इस मीटिंग में यह फैसला किया गया कि आरटी-पीसीआर एप के द्वारा एकत्रित डाटा को ही वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा, चूंकि इसके आंकड़ों में कोई गड़बड़ी नहीं है।

यह याचिका वकील संजीव शर्मा की ओर से दायर की गई। इस याचिका में दावा किया गया कि कई मामलों में गैर कोविड19 मरीज सर्जरी और आपातकालीन स्थिति में उपचार के लिए इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनके इलाज से पहले अस्पताल उनकी कोविड19 टेस्टिंग रिपोर्ट मांगते हैं, चूंकि अस्पतालों को कोविड19 टेस्ट करने की अनुमति नहीं है। जिस कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

 

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