केंद्र सरकार बापू को ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि देने को तैयार नहीं

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बापू को राष्ट्रपिता की उपाधि देने से इंकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने संविधान के नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि देश का संविधान केवल शैक्षणिक और सैन्य उपाधियों के अलावा किसी और उपाधि देने की इजाजत नहीं देता।

सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इसका खुलासा हुआ है कि गृह मंत्रालय ने महात्मा गांधी के निजी सचिव रहे वी कल्याणम के उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मंत्रालय से इस बारे में वक्तव्य जारी करने को कहा था।

लखनऊ की आरटीआई कार्यकर्ता ऐश्‍वर्या पराशर ने केन्द्र सरकार से पहले यह जानकारी मांगी थी कि गांधी जी को राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है? इस पर उन्हें बताया गया कि गांधीजी को सरकारी तौर पर ऐसी कोई उपाधि नहीं दी गई। इसके बाद ऐश्‍वर्या ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि से विभूषित करते हुए इसकी घोषणा करने की प्रार्थना की थी।

इस पर गृह मंत्रालय ने उन्हें संविधान की धारा 18 (1) का हवाला देते हुए बताया गया कि मिलिट्री टाइटिल और शैक्षणिक उपाधियों के अलावा सरकार कोई उपाधि नहीं दे सकती, इसलिए ऐसा कर पाना मुश्किल है। यह जानकारी सामने आने के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महात्मा गांधी के निजी सचिव वी कल्याणम ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को पत्र लिखकर बापू को राष्ट्रपिता की उपाधि से विभूषित करने की मांग की और कहा कि गृह मंत्रालय इस पर वक्तव्य जारी करे कि केंद्र सरकार राष्ट्रपिता की उपाधि देने के बारे में क्या सोचती है।

ऐश्‍वर्या ने 26 दिसंबर को फिर पत्र लिखकर गृह मंत्रालय से बापू के निजी सचिव के पत्र पर की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी। अब 15 फरवरी को केंद्रीय जनसूचना अधिकारी और निदेशक श्यामला मोहन ने बताया है कि सरकार इस पर कोई बयान जारी नहीं करेगी क्योंकि संविधान ऐसी कोई उपाधि देने से मना करता है। उन्होंने बापू के निजी सचिव के बयान देने के प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया।

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