केंद्र सरकार पर भूटान से आलू की खेप मंगवाने पर भड़क गए किसान

केंद्र सरकार पर भूटान से आलू की खेप मंगवाने पर

ऊना
केंद्र सरकार की ओर से बीते दिनों भूटान से 30 हजार टन आलू की खेप मंगवाने से ऊना के किसान भड़क गए हैं। यह 44 रुपये प्रतिकिलो की दर से मंगवाया गया है। स्थानीय किसानों का मानना है कि देश में बाहर का आलू आने से किसानों को भारी नुकसान होगा। इस समय कच्ची फसल तैयार है। इसकी पटाई एक-दो दिन में होने वाली है। भूटान से आयात किए आलू के कारण उनकी फसल की मांग कम हो जाएगी। इससे किसानों को फसल के उचित दाम मिलने की उम्मीद कम हो गई है।

जिला ऊना में प्रतिवर्ष 2300 से ढाई हजार हेक्टेयर भूमि में आलू की फसल होती है। इसमें 8017.5 टन आलू की पैदावार होती है। जिले से आलू की खेप दिल्ली, महाराष्ट्र, यूपी, दिल्ली, चेन्नई, चंडीगढ़, होशियारपुर, जालंधर, कुल्लू, मंडी, हरियाणा और राजस्थान आदि के मंडियों में पहुंचती है। कृषि उपनिदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने कहा कि केंद्र सरकार ने भूटान से 30 हजार टन आलू आयात किया है। यह सरकार को 44 रुपये प्रतिकिलो की दर से मिला है। इससे स्थानीय आलू की मांग कम होगी। मंडियों में भी आलू के दाम में कमी आएगी।

विपक्ष फैला रहा किसानों में भ्रम : सतीश
हरोली किसान मोर्चा के अध्यक्ष सतीश राणा ने कहा कि सरकार किसानों के साथ देश के आम नागरिकों के बारे में भी सोच रही है। विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि भूटान से आयात किया आलू देश के किसानों के लिए नुकसानदायक होगा। यह सरासर गलत है।

आयात-निर्यात की नीति किसान हित में नहीं : मोदगिल
राष्ट्रीय किसान संगठन के महामंत्री देसराज मोदगिल ने कहा कि भारत सरकार की आयात-निर्यात की नीति किसान हित में नहीं है। देश में आलू, प्याज, मक्की व दूध पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन फिर भी सरकार अन्य देशों से इन चीजों का आयात कर रही है।

 

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