कांग्रेस और भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष के लिए सियासी जोड़तोड़ शुरू, कई गुटों में बांट दिया दोनों दलों को

धर्मशाला

फाइल फोटो

पूर्व मुख्यमंत्रियों शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और वीरभद्र सिंह की छत्र छाया से हटकर नई पीढ़ी छोटे-छोटे गुटों में राजनीतिक सपनों को साकार करने की जोर आजमाइश करने की कोशिश में लगी है। कांग्रेस और भाजपा में नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए अंदरखाते चल रहे जोड़तोड़ के बीच दोनों दलों को कई गुटों में बांट दिया है। दोनों दलों में कई सियासी पावर पिलर खड़े हो गए हैं।

कांगड़ा भाजपा में किशन कपूर, पवन राणा, विपिन परमार, इंदु गोस्वामी, त्रिलोक कपूर, रमेश धवाला, राकेश पठानिया के रूप में अंदरखाते कथित गुट बन गए हैं। हर नेता के साथ कुछ नए विधायक तो कुछ संगठन के पदाधिकारी नए समीकरण बनाने में जुटे हैं। उधर, कांगड़ा से सुधीर शर्मा और जीएस बाली से इतर पूर्व मंत्री सत महाजन के पुत्र विधायक अजय महाजन भी जिलाध्यक्ष बनने के बाद धीरे-धीरे सियासी हलचल बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस विधायक, पूर्व विधायक और पदाधिकारी तीनों ओर अपने हिसाब से निष्ठाएं जता रहे हैं।
नेताओं को हटाने और बनाने का सियासी खेल
किशन कपूर के विकल्प के रूप में त्रिलोक कपूर को गद्दी नेता के तौर पर तैयार किया जा रहा है। विपिन परमार और पवन राणा से अंदरखाते टकराने वाली इंदु गोस्वामी के अचानक सियासी उत्थान ने मुख्यमंत्री को सियासी रूप से थोड़ा असहज किया है। विपिन परमार की जिले का सबसे बड़ा नेता बनने की भावनाओं को मंत्री पद से हटाकर तोड़ा गया। मंत्री पद की आस में बैठे राकेश पठानिया को सियासी आम हर बार दिखाया तो जा रहा, पर खिलाया नहीं जा रहा।

कांगड़ा में मुख्यमंत्री के मित्र मुनीश शर्मा के खिलाफ विधायकों और अफसरों की लॉबिंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही। पवन राणा के खिलाफ रमेश धवाला ने कैमरे के सामने सियासी बम फोड़ा तो ओबीसी वोट बैंक खिसकने के खतरे से सीएम ने डैमज कंट्रोल करने की कोशिश शुरू की। अब इन नेताओं ने नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए जोड़तोड़ शुरू कर दिया है। पुख्ता सूत्रों की मानें तो अब भाजपा के चुने हुए नेताओं के खिलाफ फाइलें बनाने का खेल भी शुरू हो गया है।

प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए कांगड़ा से भी बिछ रही सियासी बिसात
भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए कांगड़ा से भी बिसात ज्यादा बिछ रही है। शिमला में कौल सिंह की लंच डिप्लोमेसी का हिस्सा सुधीर शर्मा यूं ही नहीं। सूत्रों की मानें इस डिप्लोमेसी में कुलदीप राठौर को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाने को लेकर चर्चा की गई। बाद में यह पद जिसको भी मिले, उसके साथ होने पर सहमति बनी। बैठक में सीएम पद के कई दावेदार थे। इससे इतर आशा कुमारी भी दिल्ली में अलग बिसात बिछा रही हैं।

 

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