कम ही रहेगा हार-जीत का अंतर!

शिमला। जिला के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में अपेक्षा से कम और कुछ में अपेक्षा से ज्यादा मत पड़े हैं। शिमला शहरी, कसुम्पटी और शिमला ग्रामीण में उम्मीद के मुताबिक वोटर घर से नहीं निकले। इससे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की जीत के मार्जन में कुछ कमी की संभावना जताई जा रही है। जुब्बल कोटखाई में सबसे अधिक मतदान हुआ है। चौपाल और ठियोग में वोटरों ने जम कर लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में भागीदारी निभाई है।
जुब्बल कोटखाई में सीधी टक्कर भाजपा से नरेंद्र बरागटा और कांग्रेस के रोहित ठाकुर के बीच रही। यहां 78.87 मतदान हुआ। चौपाल में 75.15 रहा है। यहां मुकाबला कांग्रेस के सुभाष मंगलेट और निर्दलीय बलबीर वर्मा के बीच रहा। भाजपा अंतिम क्षण तक मुख्य मुकाबले में आने के लिए जूझती रही। अब यहां बलबीर कांग्रेस के गढ़ में भीतर तक कितनी सेंध लगा पाने में कामयाब रहे हैं यह अब तक साफ नहीं है। राजनीतिक पंडित यहां जीत हार का ज्यादा अंतर नहीं मान रहे। कुछ लोग कांग्रेस की तरफ रुझान बता रहे हैं और कुछ निर्दलीय की तरफ।
रामपुर में मुकाबला तीन के बीच था। माना जा रहा है कि हिलोपा के उम्मीदवार ने कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा को अधिक नुकसान पहुंचाया। यहां कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला रहा। रोहडू में कांग्रेस का पलड़ा भारी आंका जा रहा है। शिमला शहर पर कुछ भी कहना मुश्किल है। यहां निर्दलीय प्रत्याशी तरसेम भारती ने गणित बिगाड़ रखा है। भाजपा से बागी होेने के बावजूद माकपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाया है। भाजपा को होने वाले नुकसान को लेकर राय अलग-अलग है। यहां दिलचस्प मुकाबला माना जा रहा है। ठियोग में कांग्रेस, भाजपा और माकपा मुख्य मुकाबले में हैं। कसुम्पटी के मुकाबले को दो रियासतों के बीच छिड़ी चुनावी जंग ने रोचक बनाया है। भाजपा और माकपा रियासतों के बीच कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी की कट रही वोटों से उत्साहित है। कसुम्पटी में इस बार 1982 के बाद दूसरी बार 60 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है।

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