कमीशन का खेल चल रहा विकास कार्यों में : पूर्व डिप्टी मेयर

कमीशन का खेल चल रहा विकास कार्यों में : पूर्व डिप्टी मेयर

मोहाली। नगर निगम की सदन की बैठक में पूर्व डिप्टी मेयर व पार्षद मनजीत सिंह सेठी ने निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि निगम द्वारा करवाए जा रहे विकास कार्यों में कमीशन का खेल चल रहा है। काम की कुल लागत में से 13.25 फीसदी छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों को कमीशन जा रहा है। ऐसे में इलाके में विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वह सीएम को शिकायत करेंगे। वहीं मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू ने सारा मामला राजनीति से प्रेरित बताया।

नगर निगम की बैठक में पूर्व डिप्टी मेयर मनजीत सिंह सेठी ने कहा कि एक ठेकेदार ने उन्हें विभिन्न अधिकारियों का वर्गीकरण कर कमीशन का रेट गिनाया। कमीशन में से पांच फीसदी के करीब राशि उच्चाधिकारियों को जाती है। ठेकेदार ने यह भी बताया कि जहां पर जेई तैनात भी नहीं हैं, उसका भी कमीशन उनसे वसूला जाता है। इस पर मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू ने उन्हें कहा कि आप इसकी लिखित शिकायत नगर निगम को दें। इस पर पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा कि वह हाउस के अंदर बोल रहे हैं। यह भी उनकी शिकायत ही है। ऐसे में नगर निगम मामले का खुद संज्ञान लेकर जांच करवाकर कार्रवाई करे।

गुरुद्वारा साहिब जाने के लिए तैयार : सेठी
पूर्व डिप्टी मेयर सेठी ने अधिकारियों के पदों का नाम लेकर कहा कि अधिकारी खुद बताए कि क्या कमीशन का खेल नहीं चल रहा है। वह झूठ नहीं बोल रहे हैं और गुरुद्वारा साहिब जाने के लिए तैयार हैं। अगर अधिकारी सच्चे हैं तो वे भी गुरुद्वारा साहिब में चलें। इस पर मेयर ने कहा कि आगे से कोई फैसला लेना हो तो इसके लिए गुरुद्वारा साहिब चला करें।
‘कमीशन के खेल में पार्षद शामिल नहीं’
पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा कि इस कमीशन के खेल में पार्षद शामिल नहीं हैं। पार्षदों के बारे में ठेकेदार ने कुछ भी नहीं कहा है। यह गंभीर मामला है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ऐसे आरोप 1996 में भी लगे थे
यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह कमीशन का खेल चलने संबंधी आरोप लगे हैं। 1996 में जब मोहाली नगर काउंसिल थी। इसके 12 पार्षद हुआ करते थे और काउंसिल का दफ्तर फेज-सात में था। उस समय भी इस तरह के आरोप लग थे। इतना ही नहीं उस समय पार्षदों ने धरना तक दिया था। उस समय 11 फीसदी कमीशन की बात कही गई थी, जबकि अब कमीशन सवा दो फीसदी ज्यादा हो गई है।

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