जम्मू
जम्मू में वायुसेना स्टेशन पर हमले के बाद ड्रोन घुसपैठ लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय सीमा में ड्रोन से गोला-बारूद गिराने के प्रयास जारी हैं। यहां तक कि वायुसेना स्टेशन पर हमले के बाद भी दो बार ड्रोन से फिर हमले का प्रयास किया गया। बेशक ड्रोन पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन बॉर्डर पार से आने वाले ड्रोन पर अंकुश नहीं लग पा रहा। सुरक्षा एजेंसियों के लिए ड्रोन की घुसपैठ बड़े चिंता का विषय है।
16 जुलाई को जम्मू, सांबा, कठुआ में सैन्य ठिकानों के आसपास ड्रोन दिखाई दिए गए। 2 जुलाई को अरनिया में बीएसएफ ने ड्रोन को खदेड़ा था। इसके बाद 20 जुलाई को फिर से जम्मू एयरपोर्ट के पास ड्रोन नजर आए। जिनको एनएसजी ने फायरिंग कर खदेड़ दिया। हमले के बाद जम्मू के अलग-अलग स्थानों पर 10 बार ड्रोन देखे जाने की सूचना सामने आईं।
हमले के बाद लगातार चार दिन नजर आए ड्रोन
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर 26 जून की रात ड्रोन हमला किया गया। इस हमले में विस्फोट से एयरफोर्स स्टेशन की छत को नुकसान पहुंचा था और दो जवान घायल हुए थे। 27 जून की रात में भी जम्मू के कालूचक मिलिट्री बेस पर ड्रोन नजर आया। सुरक्षा बलों ने इस पर फायरिंग की, लेकिन यह अंधेरे में गायब हो गया। जम्मू के सुंजवां मिलिट्री स्टेशन के पास 28 जून की देर रात ड्रोन नजर आया। कुंजवानी और कालूचक इलाके में भी ड्रोन दिखा। 30 जून को भी शहर में चार अलग-अलग जगहों पर ड्रोन नजर आए।
कठुआ में तलाशी अभियान, हाई अलर्ट
स्थानीय लोगों द्वारा कल देर रात अज्ञात चमकती रोशनी की सूचना के बाद कठुआ में तलाशी अभियान जारी है। जम्मू के कालूचक और कठुआ के पल्ली मोड़ के निहालपुर में शुक्रवार देर शाम ड्रोन देखे जाने की सूचना पर सुरक्षा एजेंसियां ने हाई अलर्ट जारी किया। कठुआ में हाईवे से सटे क्षेत्र में रात 9 बजकर 30 मिनट पर स्थानीय लोगों की सूचना पर तलाशी अभियान चलाया गया। कालूचक के पास भी छानबीन की गई लेकिन सुराग नहीं लगा।
सीजफायर की आड़ में पाकिस्तान का ड्रोन वार
पाकिस्तान सरहद पर सीजफायर की आड़ में भारत के खिलाफ ड्रोन वार चला रहा है। साजिश के तहत आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-ताइबा को आगे करके पाकिस्तानी सेना और आईएसआई आतंकी साजिशों को अंजाम देने की कोशिश में हैं। पीओके में आतंकियों को ड्रोन से हमले का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जानकारों की मानें तो चीन भी इसमें पाकिस्तान की मदद कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के अनुसार जम्मू के वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमला आतंकियों ने किया। इसमें आईएसआई और पाकिस्तानी सेना का भी हाथ है। एडीजीपी मुकेश सिंह ने बताया कि शुक्रवार को अखनूर में मार गिराए ड्रोन को आईईडी के साथ जैश आतंकियों की ओर भेजने का अंदेशा है। जैश और लश्कर को आईएएसआई और पाकिस्तानी सेना पाल पोस रही है।
अखनूर में मार गिराए ड्रोन के पार्ट्स के सीरियल नंबर कठुआ में मिले ड्रोन के पार्ट्स से जुड़े हैं। इसके अलावा ड्रोन से मिले धागे जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद मिले सबूतों से मेल खा रहे हैं। इससे साफ है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर एलओसी तक पाकिस्तानी सेना की मदद से ड्रोन हमले की साजिश रची जा रही है।
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी बताया है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को अब नए तरीके से अंजाम देना शुरू कर दिया है। डेढ़ साल में ड्रोन के जरिए आतंकियों ने 40 से अधिक बार हथियार, गोला बारूद, नकदी और ड्रग्स गिराए। जम्मू, सांबा, कठुआ जिले के पाकिस्तान जाने वाले नदी-नालों का इस्तेमाल करके इनके ऊपर से ड्रोन भेजे जा रहे हैं। उज्ज, बसंतर, तवी नदी, चिनाब जैसी प्रमुख नदियां और दरिया सीधे पाकिस्तान जाते हैं। पहले इनके जरिए आतंकियों को भेजा जाता था। अब ड्रोन से हथियार और गोला बारूद भेजे जा रहे हैं।
रिटायर्ड कर्नल वीके साही बताते हैं कि सीजफायर उल्लंघन पर पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंच रहा था। उसकी अधिकतर चौकियां नष्ट कर दी गई थीं। इसलिए पाकिस्तान ने संघर्ष विराम कर दिया। कश्मीर में आतंकी हमले भी नहीं कर पा रहे। आतंकी तंजीमों के पास साधन नहीं बचे हैं। पाकिस्तान अपने नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए सीजफायर की आड़ में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। ड्रोन पकड़े जाने से उसे केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है।