एयरपोर्ट अथॉरिटी के उड़े होश ! नहीं सुधरे हालात तो बंद करनी होंगी उड़ानें

एयरपोर्ट अथॉरिटी के उड़े होश ! नहीं सुधरे हालात तो बंद करनी होंगी उड़ानें

दिल्ली : दिल्ली एयरपोर्ट पर लगने वाली भीड़ को लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी के होश उड़े हैं। केंद्रीय मंत्री से लेकर तमाम जिम्मेदार अधिकारी लगातार एयरपोर्ट की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए न सिर्फ बैठकें कर रहे हैं, बल्कि तमाम तरीके के उपाय भी ढूंढ रहे हैं। इन सबके बीच एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों की इस नई चिंता ने होश उड़ा दिए हैं। दरअसल अभी जितनी भीड़ हो रही है, उससे कहीं ज्यादा भीड़ अगले 15 दिनों के भीतर एयरपोर्ट पर होने वाली है। क्योंकि सर्दियों के मौसम में होने वाले कोहरे से रद्द होने वाली और लेट होने वाली फ्लाइटों की संख्या जबरदस्त रूप से बढ़ती है। एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है अगर एयरपोर्ट पर पहुंचने वाले यात्रियों की भीड़ को दूर करने के अभी से बेहतर उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। रद्द होने वाली और लेट होने वाली फ्लाइटों के पैसेंजर भी न सिर्फ एयरपोर्ट पर मौजूद रहेंगे, बल्कि मौसम की वजह से लेट होने वाली कनेक्टिंग फ्लाइट के यात्रियों का भी दिल्ली एयरपोर्ट पर दबाव बढ़ेगा।

विशेष कारणों ये बढ़ा यात्रियों का दबाव

एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सर्दियों में जिस तरीके से कोहरे के चलते फ्लाइट लेट होती है और रद्द होती है उससे तो यह हालात और बिगड़ने वाले हैं। क्योंकि इस वक्त जो हालात हैं, वही कंट्रोल में नहीं हैं। एयरपोर्ट पर कुछ विशेष कारणों की वजह से यात्रियों का दबाव है और भीड़ भी इसी कारण से हो रही है। ऐसे में रद्द होने वाली फ्लाइट और देरी से आने वाली फ्लाइट के यात्रियों की संख्या भी तो एयरपोर्ट पर ही रहेगी। जो एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या का दबाव ही बढ़ाएगी। एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़े अधिकारियों ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को अपनी चिंता से अवगत भी कराया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अगर अगले कुछ दिनों में इस समस्या का हल नहीं ढूंढा गया तो हालात और जटिल होने वाले हैं।

दिल्ली एयरपोर्ट पर भीड़ की सिर्फ चिंता यही नहीं है, बल्कि जिस तरीके से एयरलाइंस की ओर से साढ़े तीन घंटे पहले आने के लिए मैसेज भेजा गया, वह भी बड़ी चिंता का विषय है। एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, अगर साढ़े तीन घंटे पहले ही सब लोग आना शुरू कर देंगे, तो एयरपोर्ट पर दबाव और बढ़ेगा। डर इस बात का बना हुआ है कि वक्त से साढ़े तीन घंटा पहले एयरपोर्ट पर पहुंचने से एयरपोर्ट के अंदर सीटिंग कैपेसिटी का भी ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है। वह कहते हैं कि लोग साढ़े तीन घंटा पहले तो आ जाएंगे, लेकिन जब एयरपोर्ट के अंदर दाखिल होंगे तो उन्हें बैठने की जगह नहीं मिलेगी और लोगों की भीड़ ही भीड़ दिखेगी। कोहरे के चलते फ्लाइट रद्द होने और लेट होने की दशा में तो हालात बद से बदतर ही होने का डर बना हुआ है।

साल भर में सात करोड़ यात्रियों की आवाजाही

दिल्ली एयरपोर्ट से एक साल के भीतर सात करोड़ यात्री आते और जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट से अभी कोविड से पहले की तुलना में 70 फ़ीसदी ही यात्री सफर कर रहे हैं। जैसे ही यह संख्या सौ फ़ीसदी के करीब पहुंचेगी, तो एयरपोर्ट पर यात्रियों की संख्या और ज्यादा बढ़ेगी। अगर ऐसी स्थिति से पहले हवाई सफर करने वाले यात्रियों को अंदर करने से पहले की पूरी प्रक्रिया और इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी, तो स्थितियां इसके विपरीत ही रहेंगी। एयरपोर्ट पर पर न सिर्फ भीड़ बढ़ेगी बल्कि यात्रियों को परेशानी भी होगी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस वक्त जो हालात हैं, वह कई कारणों की वजह से बने हुए हैं। दरअसल एयरपोर्ट पर काउंटर की संख्या कम होने के साथ-साथ सीआईएसएफ जवानों की संख्या भी कम है। जैसे ही काउंटर और सीआईएसएफ जवानों की संख्या बढ़ेगी, तो लोगों की वेटिंग और भीड़ न सिर्फ कम होगी, बल्कि लोगों को इस वक्त हो रही अन्य परेशानियों से भी निजात मिलेगी। एयरपोर्ट पर बने इस हालात को नियंत्रित करने और समस्याओं को दूर करने के लिए हाई लेवल बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों के भीतर एयरपोर्ट पर जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करके व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाना है, वह सब कुछ कर लिया जाएगा। मंत्रालय से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि उनको इस बात का अंदाजा है कि कोहरे के चलते जो हालात पैदा होते हैं उससे क्या स्थितियां आने वाली है। इसलिए उन स्थितियों से पहले ही सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों के भीतर एयरपोर्ट पर बीते कुछ दिनों से बनी समस्या का निदान हो जाएगा।

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