उपचुनाव 2021: सेमीफाइनल हारी कांग्रेस, फाइनल के लिए भाजपा का मनोबल बढ़ा

उपचुनाव 2021: सेमीफाइनल हारी कांग्रेस, फाइनल के लिए भाजपा का मनोबल बढ़ा

देहरादून
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे सल्ट उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा ने लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी को आधार बताकर जीत का दावा कर रही कांग्रेस को मात दे दी। भाजपा प्रत्याशी को करीब-करीब हर क्षेत्र से वोट पड़े और हर चरण में बढ़त सामने आने से यह साफ भी हो गया।

भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के कारण खाली हुई सल्ट सीट पर महेश जीना को मैदान में उतारकर भाजपा ने आधा मैदान पहले ही मार लिया था। ऐसा नहीं था कि कांग्रेस को यह अहसास नहीं था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने अपनी तरफ से इस कार्ड को साधने की भरपूर कोशिश की। डाक्टरों की सलाह को नजरअंदाज कर रावत ने प्रचार के आखिरी दिन ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं और मतदाताओं का दिल जीतने की पूरी कोशिश की।

यहां तक की हरीश रावत ने खतरा उठाते हुए इस उपचुनाव को अपनी साख से भी जोड़ लिया था। खुद प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे। यह शायद पहला उपचुनाव था, जिसमें कांग्रेस की पूरी मशीनरी पूरी तरह से सक्रिय रही। प्रभारी खुद प्रचार के आखिरी दिन तक सल्ट में डटे रहे। इस सक्रियता के साथ ही कांग्रेस को जनता में सत्ता पक्ष के प्रति नाराजगी पर पूरा भरोसा था।

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वहीं, सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा ने भी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ी। सुरेंद्र जीना के भाई महेश जीना को मैदान में उतारकर भाजपा ने अपनी रणनीति पहले ही साफ कर दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी महेश जीना के लिए वोट मांगते हुए सुरेंद्र सिंह जीना की याद को बनाए रखा। सुरेंद्र सिंह जीना की क्षेत्र में पैठ थी और 2022 के चुनाव में उनका फिर मैदान में उतरना भी तय था। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत समेत भाजपा के अन्य दिग्गजों ने भी इस चुनाव में पूरा जोर लगा दिया था।

अब उपचुनावों और विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा फर्क
इस उपचुनाव के नतीजे से सत्ता पक्ष में लोगों में नाराजगी का डर बहुत हद तक कम हो गया है। अब खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बढ़े हुए मनोबल के साथ मैदान में उतर सकेंगे। टिहरी लोक सभा का उपचुनाव, खाली हुई गंगोत्री विधानसभा सीट का उपचुनाव और मुख्यमंत्री का निर्वाचन की एक सीधी लकीर पर अब भाजपा सरपट दौड़ने की कोशिश कर सकती है।

कांग्रेस की उम्मीद
आगे के उपचुनाव में सहानुभूति का फेक्टर नहीं होगा। कोरोना और अन्य मामलों में लोगों की नाराजगी और मुखर होकर सामने आएगी। ऐसे में कांग्रेस को आगे आने वाले चुनाव में आसानी होगी।

भाजपा की उम्मीद
लोगों ने साबित कर दिया कि वे सरकार के काम से संतुष्ट हैं। उपचुनाव में चौतरफा मिले समर्थन से भाजपा का मनोबल भी बढ़ा है। आगे आने वाले चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन और बेहतर होगा।

सूर्य अस्तांचल में जाता है तो भी गरिमामय ही होता है। यह जनादेश कांग्रेस स्वीकार करती है। कांग्रेस ने पूरी मेहनत के साथ चुनाव लड़ा और पूरी टक्कर दी। सत्ता पक्ष ने चुनाव को धनबल का बनाया।
– हरीश रावत, पूर्व सीएम और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव

यह जनादेश हमे स्वीकार है। कांग्रेस ने चुनाव एकजुटता और पूरे दमखम से लड़ा। हमने तो कहा था कि मुख्यमंत्री चुनाव लड़ें और प्रदेश को इस कोरोना काल में एक और उपचुनाव से बचाएं। फिर भी सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस चुनाव हारी। इतना जरूर है कि सत्ता पक्ष के प्रति लोगों में नाराजगी है। यह इस उपचुनाव से साफ हो गया है।
– देवेंद्र यादव, प्रदेश प्रभारी कांग्रेस

यह भाजपा की नहीं, बल्कि जनआकांक्षाओं की भी जीत है। भाजपा प्रत्याशी महेश जीना के बहाने क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी। 
-रमेश पोखिरियाल निशंक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और भाजपा के हरिद्वार सांसद 

जनता ने साफ संदेश दे दिया है कि वह विकास यात्रा को निरंतर आगे बढ़ाने के पक्ष में है। स्व.जीना के अधूरे सपनों को पूरा करने का जिम्मा अब भाजपा का है। पार्टी ने उपचुनाव में जनता के सामने यह वायदा भी किया है।
– मदन कौशिक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

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