उपचुनाव: त्रिकोणीय मुकाबला, भाजपा-कांग्रेस को जीत की आस

उपचुनाव: त्रिकोणीय मुकाबला, भाजपा-कांग्रेस को जीत की आस

चंडीगढ़
ऐलनाबाद में चुनावी बिसात बिछ गई है। इनेलो के अभय सिंह चौटाला, कांग्रेस के पवन बेनीवाल और भाजपा के गोबिंद कांडा के बीच तिकोना मुकाबला है। कांग्रेस ने और भाजपा ने गुरुवार को ही अपने उम्मीदवार घोषित किए। भाजपा कांडा के दम पर यहां पहली बार कमल खिलाना चाह रही है।

इनेलो के लिए यह उपचुनाव नाक की लड़ाई है, कांग्रेस और भाजपा उलटफेर करते हुए जीत की आस लगाए हुए हैं। सिरसा जिले का ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र इनेलो का मजबूत गढ़ है। पार्टी यहां अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने का दावा कर रही है। कांग्रेस और भाजपा ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर भरोसा जताया है। 

पवन बेनीवाल ने ऐलनाबाद से पिछला चुनाव भाजपा टिकट पर लड़ते हुए अभय चौटाला को कड़ी टक्कर दी थी। किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने पवन को टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा उनके चाचा भरत बेनीवाल को टिकट देने के हक में थे।

गोबिंद कांडा ने हलोपा को छोड़कर चंद दिन पहले ही भाजपा का दामन थामा है। वह हलोपा विधायक गोपाल कांडा के भाई हैं। दोनों की सिरसा जिले में अच्छी पैठ मानी जाती है। भाजपा ने गोबिंद पर दांव खेला है। कांडा संघ से पुरानी नजदीकियों के चलते टिकट पाने में कामयाब रहे। उनके पिता संघ के पुराने नेता रहे हैं, उन्हें ताम्रपत्र पुरस्कार भी मिला हुआ है। ऐलनाबाद के चुनावी रण में अब लड़ाई दो जाट नेताओं और एक बनिया के बीच में है। गांव बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा 36 बिरादरी व शहरी मतदाताओं के बल पर जीत की आस लगाए हुए है।

अभय तीन बार जीत चुके ऐलनाबाद
इनेलो नेता अभय चौटाला ऐलनाबाद में तीन बार 2010, 2014 व 2019 में जीत चुके हैं। इस साल 27 जनवरी को अभय ने किसान आंदोलन के समर्थन में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। 1996 से इनेलो यहां जीतती आ रही है। 1991 में यहां कांग्रेस के मनीराम केहरवाला को जीत मिली थी। उसके बाद कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। 

यहां पवन बेनीवाल 2014 व 2019 में अभय को भाजपा की टिकट पर कड़ी टक्कर दे चुके हैं। अब इस बार कांग्रेस टिकट पर वह क्या करते हैं, चुनावी नतीजे ही बताएंगे। उपचुनाव इस बार इनेलो, पार्टी सुप्रीमो ओपी चौटाला की अगुवाई में लड़ रही है। वह जेबीटी भर्ती मामले में सजा काट कर बाहर आ चुके हैं। वह गांव-गांव वोट मांग रहे हैं, इससे इनेलो पहले से अधिक मजबूती का दम भर रही है।

गोबिंद कांडा ने हलोपा को छोड़कर चंद दिन पहले ही भाजपा का दामन थामा है। वह हलोपा विधायक गोपाल कांडा के भाई हैं। दोनों की सिरसा जिले में अच्छी पैठ मानी जाती है। भाजपा ने गोबिंद पर दांव खेला है। कांडा संघ से पुरानी नजदीकियों के चलते टिकट पाने में कामयाब रहे। उनके पिता संघ के पुराने नेता रहे हैं, उन्हें ताम्रपत्र पुरस्कार भी मिला हुआ है। ऐलनाबाद के चुनावी रण में अब लड़ाई दो जाट नेताओं और एक बनिया के बीच में है। गांव बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा 36 बिरादरी व शहरी मतदाताओं के बल पर जीत की आस लगाए हुए है।

अभय तीन बार जीत चुके ऐलनाबाद
इनेलो नेता अभय चौटाला ऐलनाबाद में तीन बार 2010, 2014 व 2019 में जीत चुके हैं। इस साल 27 जनवरी को अभय ने किसान आंदोलन के समर्थन में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। 1996 से इनेलो यहां जीतती आ रही है। 1991 में यहां कांग्रेस के मनीराम केहरवाला को जीत मिली थी। उसके बाद कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। 

यहां पवन बेनीवाल 2014 व 2019 में अभय को भाजपा की टिकट पर कड़ी टक्कर दे चुके हैं। अब इस बार कांग्रेस टिकट पर वह क्या करते हैं, चुनावी नतीजे ही बताएंगे। उपचुनाव इस बार इनेलो, पार्टी सुप्रीमो ओपी चौटाला की अगुवाई में लड़ रही है। वह जेबीटी भर्ती मामले में सजा काट कर बाहर आ चुके हैं। वह गांव-गांव वोट मांग रहे हैं, इससे इनेलो पहले से अधिक मजबूती का दम भर रही है।

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