आम आदमी पार्टी का दावा : अगर सरकार रद्द कर दे समझौते तो चार रुपये यूनिट मिल सकती है बिजली

चंडीगढ़
प्रदर्शन करते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक।
  • आप ने बिजली पर जारी किया व्हाइट पेपर और विजन डाक्यूमेंट।
  • आरोप- कैप्टन ने बादलों की तरह निजी कंपनियों को दिया संरक्षण।
  • बिजली के मुद्दे पर सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन, वॉकआउट।
आम आदमी पार्टी ने महंगी बिजली के मुद्दे पर अपने आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए बुधवार को 17 पन्नों का एक श्वेत पत्र और दूरदर्शी दस्तावेज (विजन डाक्यूमेंट) जारी किया। पार्टी का दावा है कि इसमें पंजाब सरकार, बिजली विभाग और निजी बिजली कंपनियों के बारे में तथ्यों के साथ पोल खोली गई है। यह दस्तावेज आप विधायक अमन अरोड़ा द्वारा तैयार किया गया है।

बुधवार को बजट सत्र के अंतिम दिन आप नेताओं ने पहले सदन के बाहर दिया जलाकर कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सुखबीर सिंह बादल पर बिजली माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया। इसके बाद सदन में बिजली के मुद्दे पर आप के काम रोको प्रस्ताव को रद्द किए जाने के विरोध में आप विधायकों ने हरपाल सिंह चीमा के नेतृत्व में नारेबाजी की और रोष प्रकट करते हुए वॉकआउट किया।

इस दौरान अमन अरोड़ा ने सदन में श्वेत पत्र और विजन डाक्यूमेंट लहराते हुए कहा कि कैप्टन तो बिजली के मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी नहीं कर सके, आम आदमी पार्टी कर रही है, जिसमें न सिर्फ बिजली माफिया की लूट की पोल खोली गई है, बल्कि भविष्य का ‘रोड मैप’ भी दिखाया गया है।

इसके बाद विधानसभा की प्रेस गैलरी में मीडिया के समक्ष व्हाइट पेपर जारी करते हुए अमन अरोड़ा ने दावा किया कि यदि पंजाब सरकार निजी बिजली कंपनियों के साथ किए घातक बिजली खरीद समझौते रद्द कर दे तो पंजाब में लोगों को प्रति यूनिट 4 रुपये तक सस्ती बिजली मिल सकती है। अरोड़ा ने कहा कि राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइन्दवाल थर्मल प्लाटों के साथ बिना बिजली लिए जो 3513 करोड़ रुपए सालाना 25 सालों के लिए फिक्सड चार्ज तय किया गया, वह पंजाब और पंजाबियों को 87,825 करोड़ का पड़ रहा है।

अमन ने कहा कि यदि गुजरात की तर्ज पर भी समझौते किए होते तो यह प्राइवेट थर्मल पंजाब पर इस कदर भारी न पड़ते। इनके अलावा कोल-वाश के 2800 करोड़ रुपये बकाया के बिना प्रति साल 500 करोड़ रुपये के साथ 20 सालों में 10,000 करोड़ की चपत अलग है।

अरोड़ा ने कहा कि प्राइवेट थर्मल प्लांट सरकारी थर्मल प्लांट की कीमत पर पाले जा रहे हैं। वर्ष 2010-11 में बिजली पूर्ति के लिए सरकार के अपने थर्मल प्लांटो पर निर्भरता 59.59 प्रतिशत थी, जो 2018-19 में घट कर केवल 15.21 प्रतिशत रह गई है जबकि प्राइवेट थर्मलों पर यह मात्रा 34.5 प्रतिशत से अधिक कर 83.73 प्रतिशत हो गई है, जो बेहद घातक रुझान है।

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