‘आप’ के मैदान में उतरने से दिल्ली में इस बार होगा त्रिकोणा मुकाबला

नई दिल्ली: दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों के लिए 10 अप्रैल को होने वाले चुनाव में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबले की प्रबल संभावना है। दिल्ली में आम तौर पर किसी भी चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में सीधा मुकाबला होता है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के चुनाव मैदान में पूरे दम खम के साथ ताल ठोंकने से इस बार के विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी त्रिकोणीय मुकाबले की प्रबल उम्मीद है। चुनाव मैदान में पहली बार उतरी आप ने विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को झुठलाते हुए 70 में से 28 सीटों पर जीत हासिल की थी और भाजपा के 15 वर्ष के बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी के दरवाजे बंद किए थे। उसे देखते हुए इस बार दिल्ली की सातों सीटों पर लोकसभा का चुनाव काफी रोचक रहने के आसार बन गए हैं।

आप उम्मीदवारों की घोषणा के मामलों में भी कांग्रेस और भाजपा दोनों से आगे चल रही है। पार्टी अभी तक सात में से 6 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। आप को दिल्ली में एकमात्र सुरक्षित सीट उत्तर पश्चिमी दिल्ली से प्रत्याशी की घोषणा करना बाकी है जहां से अभी कांग्रेस की केन्द्रीय मंच्की कृष्णा तीरथ सांसद हैं। आप की वजह से विधानसभा चुनाव में भाजपा हालांकि सरकार नहीं बना पाई लेकिन उसने सबसे ज्यादा नुक्सान कांग्रेस को पहुंचाया था। आप ने भाजपा के वोट बैंक में भी थोड़ी-बहुत सेंध लगाई थी किंतु कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया जो 15 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज थी।  वह 43 सीटों से सिमट कर 8 पर आ गई।

विधानसभा चुनाव में सत्ता से महज चार कदम दूर रह जाने से छटपटा रही भाजपा लोकसभा चुनाव में किसी भी प्रकार का जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है और वह पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे सातों सीटों जीतने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही है। पार्टी ने इसी तरफ कदम बढ़ाते हुए अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन को ही प्रदेश इकाई की बागडोर सौंपी है।

भाजपा का मानना है कि मोदी का फायदा उसे लोकसभा चुनाव में जरूर मिलेगा। पार्टी मानती है कि आम चुनाव में केन्द्र की सरकार और प्रधानमंत्री का फैसला होना है। विधानसभा चुनाव के बाद की परिस्थितियों में भाजपा अपने वोट बैंक में इजाफा होने की उम्मीद लगाए हुए हैं।

राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि आप और कांग्रेस के बीच यदि मतों का बंटवारा होगा तो भाजपा फायदे में रहेगी लेकिन विधानसभा चुनाव की तरह मतदाताओं का रुझान रहा तो कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल है। विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में जमकर सेंध लगाई थी। आप के नौसिखिए उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस के 4-4 बार के विधायक भी ठहर नहीं पाए थे।

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