आठ माह और करना होगा इंतजार

फैजाबाद। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में फिलहाल शोध की प्रक्रिया पटरी पर लौटती नहीं दिख रही है। पीएचडी की प्रवेश परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को अभी आठ माह और इंतजार करना होगा। विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक आगामी शैक्षणिक सत्र से रिसर्च इन वेटिंग कैंडीडेट्स को राहत मिल सकती है और शोध कार्य के लिए नया पंजीकरण भी शुरू हो सकता है। फिलहाल विश्वविद्यालय इन दिनों जनवरी में होने वाले दीक्षांत समारोह की तैयारी में जुटा है। बीते जून में प्रदेश की संयुक्त पीएचडी पात्रता परीक्षा मेजबान अविवि के संयोजन में संपन्न हुई। इसमें 33 हजार 285 अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल की और पीएचडी में पंजीकरण के लिए अर्ह हुए। छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय शोध में पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका, न ही इस बाबत कोई खाका ही तैयार कर सका है। निवर्तमान कुलपति प्रो. आरसी सारस्वत के इस्तीफे के बाद कार्यभार संभालने वाले प्रो. पीके सिन्हा के कंधों पर अब पंजीयन का दारोमदार है। सूत्रों की मानें तो विवि प्रशासन में अब धीरे-धीरे कोर्स वर्क का पाठ्यक्रम बनाने की कुनमुनाहट शुरू हो गई है, लेकिन अभी इसकी न तो मियाद तय हुई और न ही प्रारूप। कोर्स वर्क के पाठ्यक्रम के साथ प्रशिक्षकों की तैनाती कहां से होगी यह भी अभी तय नहीं है। यूजीसी के बदले नियमों के मुताबिक पीएचडी शुरू करने के पूर्व अभ्यर्थियों को छह माह का कोर्स पूर्ण करना होगा। संकेत है कि आगामी शैक्षणिक सत्र के पहले इसका मसविदा तैयार होगा। अवध विवि के परिक्षेत्र में तकरीबन तीन दर्जन कॉलेजों में शोध की व्यवस्था है। आला अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आगामी एकेडमिक काउंसलिंग की बैठक में कोर्स वर्क के बाबत चर्चा की जाएगी। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न संकायों के समन्वयकों को कोर्स बनाने और अनुमोदन समय से कराने की जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्होंने दावे के साथ बताया कि नए सत्र से यूजीसी की 2009 की नियमावली के अनुरूप शोध पंजीयन का कार्य शुरू हो जाएगा।

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