आउटसोर्स होगी पानी और सीवरेज व्यवस्था

शिमला। राज्य सरकार ने नगर निगम के पानी और सीवरेज प्रोजेक्ट की आउटसोर्सिंग को रद करने के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। कैबिनेट की बैठक में नगर निगम को झटका देते हुए प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ईपीसी के बजाय पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर देने के आदेश दिए हैं। अब 23 वर्षों के लिए शहर के पानी और सीवरेज व्यवस्था के लिए नए सिरे से निविदाएं मांगने की प्रक्रिया शुरू होगी। अतिरिक्त मुख्य सचिव पी मित्रा ने पीपीपी मोड पर प्रोजेक्ट को दिए जाने की पुष्टि की है।
करीब एक साल पूर्व भाजपा सरकार ने भी यह फैसला लिया था लेकिन वामदलों और कर्मचारी यूनियन के विरोध के चलते यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। पानी और सीवरेज की आउटसोर्सिंग योजना करीब 250 करोड़ की है। जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण योजना के तहत पानी और सीवरेज व्यवस्था को 23 साल तक ठेके पर दिया जाना प्रस्तावित है। पिछले वर्ष कैबिनेट ने जून माह में योजना को मंजूर किया था। जुलाई माह में टेंडर आमंत्रित किए गए थे। इस दौरान एकल बोली आई जिसे राज्य सरकार के ध्यानार्थ भेजा गया था। इसके चलते अगस्त माह में सरकार ने सिंगल बीड को नामंजूर कर दिया तथा दोबारा टेंडर आमंत्रित करने के आदेश दिए। दिसंबर माह में दोबारा से टेंडर मांगे गए लेकिन, दोबारा एक ही कंपनी ने ठेका लेने के लिए टेंडर भरे। जिसे फरवरी माह में हुई बैठक में कांग्रेस सरकार ने खारिज कर दोबारा से टेंडर आमंत्रित करने के आदेश दिए। उधर, आयुक्त नगर निगम अमरजीत सिंह का कहना है सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही योजना पर आगामी निर्णय लिया जाएगा।

आईपीएच, शहरी विकास मंत्री की बैठकें बेअसर
फरवरी माह में हुई कैबिनेट के बाद शहर में पीलिया फैल गया। जिसके चलते कांग्रेस पार्षदों ने आईपीएच मंत्री विद्या स्टोक्स के समक्ष यह मामला उठाते हुए शहर की पेयजल और सीवरेज व्यवस्था को पीपीपी मोड पर देने के बजाए नगर निगम और आईपीएच के अधिकारियों की देखरेख में प्रोजेक्ट शुरू करने की वकालत की। मामले को गंभीरता से लेते हुए सिंचाई मंत्री विद्या स्टोक्स और शहर विकास विभाग मंत्री सुधीर शर्मा ने आईपीएच और निगम अधिकारियों से कई बैठके की। जिसके बाद प्रोजेक्ट को आउटसोर्स करने के बजाए निगम और आईपीएच के अधिकारियों को देने का फैसला लिया गया। औपचारिकता पूरी करने के लिए निगम को पीपीपी मोड को रद करने की मांग का प्रस्ताव भेजने को कहा गया। निगम ने मंत्री के आदेशानुसार विशेष सदन बुलाकर नए प्रोजेक्ट के तहत काम करने की पालिसी तक तैयार कर दी। इसे वीरवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने दोबारा से रद कर पीपीपी मोड की वकालत की है।

पीपीपी मोड जनता के खिलाफ : संजय
नगर निगम के महापौर संजय चौहान ने पीपीपी मोड पर प्रोजेक्ट को देने का विरोध किया है। महापौर का कहना है पीपीपी मोड से शहर की जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। नई व्यवस्था को शुरू करने में समय लगेगा। जिसके चलते स्वीकृत 28 करोड़ की राशि नॉन स्टारटर में चली जाएगी।

आउटसोर्सिंग से यह होगा लाभ
24 घंटे शहर में पानी की सप्लाई दी जाएगी।
पाइपों की लीकेज को दूर किया जाएगा।
मासिक बिलिंग को सुनिश्चित किया जाएगा।
सभी वार्डों में सीवरेज की नई लाइनें बिछाई जाएगी।
सीवरेज पंपिंग स्टेशन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को सुधारा जाएगा।
सीवरेज लाइन से महरूम वार्डों में लाइनें बिछाई जाएगी।

आउटसोर्सिंग का नुकसान
एमसी के 220 कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ने की संभावना।
शहर में पानी की दरें पहले के मुकाबले बढ़ सकती हैं।
ठेके पर योजना देने से निजी कंपनी के पास चले जाएंगे सभी अधिकार।
कंपनी घाटा सहने के बजाय आम आदमी पर डालेगी बोझ।

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