आंदोलनकारियों का वर्गीकरण खत्म करे सरकार

हल्द्वानी। राज्य आंदोलनकारी संघर्षशील संगठन कार्यकर्ताओं ने बुद्ध पार्क में धरना दिया। प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन का विरोध करने वालों को सरकार ने आंदोलनकारी घोषित कर सरकारी सेवा और पेंशन दे दी है। असल में आंदोलनकारी आज भी हाशिये पर हैं। सरकार को आंदोलनकारियों का वर्गीकरण खत्म करना चाहिए।
हेम चंद्र पाठक, बालम सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन और बिना शर्त सरकारी सेवा में नियुक्त करे। आंदोलनकारियों के लिए एक दिन, तीन दिन और सात दिन का मानक खत्म किया जाए। उमेश चंद्र, देवेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री भ्रामक बयानबाजी कर आंदोलनकारियों को गुमराह कर रहे हैं। इस दौरान अयोध्या प्रसाद, यमुना दत्त बेलवाल, मदन शर्मा, मीना शर्मा, अनीता बर्गली, मुन्नी पाठक, राजेंद्र करायत, मोहन तिवाड़ी, भुवन जोशी, भूपेंद्र सिंह, हरक सिंह, हरिशंकर यादव, जितेंद्र उप्रेती, कमला बिष्ट, मोहनी रावत मौजूद थीं।

सम्मान को भटक रहा आंदोलनकारी
हल्द्वानी। राज्य आंदोलनकारी कालाढूंगी चकलुवा निवासी नंदन सिंह कुमटिया राज्य आंदोलनकारी का प्रमाण पत्र और आर्थिक मुआवजे के लिए सालों से भटक रहे हैं। कुमटिया कई बार धरना भी दे चुके हैं। हर बार आश्वासन के सिवाय उन्हें कुछ नहीं मिला है। कुमटिया को शुगर और किडनी की बीमारियों ने जकड़ लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें राज्य आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिला तो वो आमरण अनशन पर बैठेंगे।

आंदोलनकारी चिह्निकरण का सरलीकरण हो
हल्द्वानी। संयुक्त उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा की काठगोदाम में बैठक हुई। प्रदेश अध्यक्ष विनोद कुमार घड़ियाल ने आंदोलनकारी चिह्निकरण के सरलीकरण की मांग की। कहा कि समान पेंशन और परिवहन सुविधा दी जाए। राज्य आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी का दर्जा दिया जाए। बैठक में पार्वती मेहता, बसंती रौतेला, चंपा जोशी, राधिका बिष्ट, मोहनी जंगी, ममता मिश्रा, कमला मिश्रा, जानकी नेगी, गीता चंदोला, ममता रजवार, रेखा कुंवर, दीपा बोरा, प्रदीप अनेरिया, यमुना दत्त बेलवाल, गणेश सिंह मौजूद थे।

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