अब फोन टैपिंग के टेप लीक होने का डर

फोन टैपिंग मामले में टेप सार्वजनिक होने का डर कइयों को सताने लगा है। राजनेताओं से लेकर अफसर तक इस टैपिंग के फंदे में हैं। राजनीतिक षड़यंत्रों, विवाहेत्तर संबंधों और मियां-बीवी की गुफ्तगू से भरी टैपिंग की सीडियां रिकॉर्ड जब्त होने से पहले किसी और के पास तो नहीं थी? यह सबसे बड़ा डर है।

कुछ की घबराहट ये है कि जिसने टैप किया या जिसने हार्डडिस्क से डाटा रिकवर कर सीडी बनाई या फिर जहां अब ये टेप रखे गए हैं, वहां क्या इन्हें कॉपी नहीं किया जा सकता? ये चिंता सरकार की भी है। सूत्र कहते हैं कि दो दिन पूर्व मंत्रिमंडल की बैठक में इस मसले पर लंबी चर्चा हुई। कैबिनेट का मत है कि इस केस में जल्द एफआईआर दर्ज हो।

इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा 23 से 26 तक 3 साल कैद का प्रावधान भी है। लेकिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत सरकार की चिंता आम जनता की प्राइवेसी को लेकर भी है। क्योंकि इसमें किसी को नहीं बख्शा गया है। कहते हैं पूर्व सरकार में जिन अफसरों से काम लिया, उन पर जासूस निगाह भी थी। अफसरों की बीवियों से लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी टैप हुए। अब यदि केस बनता है तो यह कोर्ट जाएगा।

सीआईडी टैपिंग की चार सीडी लैब ने दी हैं। अभी विजिलेंस की सीडियां आनी हैं। ये सभी कोर्ट में बजानी होंगी। एक उलझन ये भी है कि ये डाटा कब तक सरकारी रिकॉर्ड का हिस्सा रहेगा? यदि एफआईआर करनी हो तो रिकॉर्ड को नष्ट नहीं किया जा सकता। यदि रिकॉर्ड रह गया तो यह आरटीआई या चुनावी बदलावों के बाद फिर डराने के सामान जैसा होगा। शीर्ष अफसर खुद कह रहे हैं कि यह मामला आग से खेलने जैसा है।

फोन टैपिंग में एफआईआर करनी है या विभागीय जांच? इस बारे में विजिलेंस के सीपीयू की फारेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। सीआईडी ने गैरकानूनी तरीके से टैपिंग की। ऐसा ही यदि विजिलेंस रिकॉर्ड से भी मिला तो दोनों पर संयुक्त कार्रवाई संभव है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता राइट टू प्राइवेसी को बचाने की है। यह आम नागरिकों की इज्जत उछालने जैसा होगा।
– सुदृप्त राय, मुख्य सचिव हिमाचल सरकार

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