अब नेताओं पर नहीं रहा भरोसा!

कुल्लू दशकों बाद भी मणिकर्ण घाटी की उपेक्षा हो रही है। यहां के दर्जनों गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम हैं। घाटीवासियों का दावा है कि आज तक उन्हें विकास के झूठे आश्वासन ही मिले हैं। गुस्साए लोगों ने चेतावनी दी है कि वे चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेंगे।
मणिकर्ण घाटी के दुर्गम गांव नथाण, तुलगा, पुलगा, टाहुक, ऊच, चोज, गौहर, लपास, क्याणी, बरेऊना, बलारगा, ग्राहण, रशोल, छलाल, कटागला, डढेई, चनालदी, पुंथल, शालग, चगरिंगा, सौहच, नरोगी, नरोगी शोरण गांव अभी तक सर्वे से बाहर नहीं निकल रहे हैं। ये सभी गांव बरशैणी, मणिकर्ण, कसोल, पुंथल, रतोचा तथा छैंउर पंचायतों में आते हैं। इसके अलावा अभी तक पीणी-तलपीणी पंचायत के गांवों में भी सड़क नहीं पहुंची है। सड़क का कार्य चला हुआ है। घाटी से संबंध रखने वाले जीत राम, अमर, मान चंद, गोपालकृष्ण, सोनू, मेहर चंद आदि का कहना है कि कई किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक मरीज को चारपाई या कुर्सी का सहारा लेकर पहुंचाना पड़ता है। मणिकर्ण पंचायत के लोगों का कहना है कि उन्हें नेताओं पर विश्वास तनिक भी नहीं रहा है। उनका कहना है कि आजादी के बाद आज तक नेताओं से विकास के झूठे आश्वास ही मिले हैं। ग्रामीणों ने नेताओं को कहा है कि अगर इन लोस चुनावों में सड़क निकालने के वादे पूरे किए तो ठीक वरना नोटा का प्रयोग करेंगे। उधर, लोनिवि शाट के एसडीओ विनोद शर्मा ने बताया कि कई गांवों के सर्वे तो हो गए हैं, लेकिन ग्रामीण जमीन गिफ्टिड नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सड़क सुविधा से वंचित गांवों की प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजी जाएगी।

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