अनुदान प्राप्त कॉलेज के कर्मचारियों को अनुकंपा का लाभ देने से इनकार

अनुदान प्राप्त कॉलेज के कर्मचारियों को अनुकंपा का लाभ देने से इनकार

चंडीगढ़
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अनुदान प्राप्त 97 शिक्षण संस्थानों के 2000 से ज्यादा कर्मचारियों को झटका देते हुए सिंगल बेंच के उस आदेश पर मुहर लगा दी, जिसमें कहा गया था कि यह कर्मचारी प्रबंधन के होते हैं सरकार के नहीं। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर वह लाभ पाने के लिए दावा नहीं कर सकते। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया और उन्हें अनुकंपा आधार पर नौकरी का लाभ देने से इनकार कर दिया है।

याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा प्राइवेट कॉलेज नॉन टीचिंग इम्पलाइज यूनियन ने हाईकोर्ट के समक्ष पक्ष रखा। याची ने बताया कि अनुदान प्राप्त संस्थानों में सरकार 95 प्रतिशत योगदान देती है। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों की तर्ज पर उन्हें भी एक्सग्रेशिया स्कीम का लाभ दिया जाए। इसके साथ ही यदि सेवा में रहते हुए अनुदान प्राप्त संस्थान के कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाए। 

साथ ही हरियाणा सरकार के 25 नवंबर 2019 के आदेश को भी खारिज करने की अपील की, जिसके तहत उनका दावा नकार दिया गया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अनुदान प्राप्त संस्थानों में नियुक्तियां प्रबंधन या प्रिंसीपल करते हैं न की सरकार। सरकार का काम केवल निरीक्षक के तौर पर अपनी भूमिका निभाना है। नियम के अनुसार इन कर्मचारियों के वेतन और भत्ते निर्धारित करने का सरकार को अधिकार है। 

सरकार चाहे तो इन्हें यह लाभ दे या न दे यह सरकार पर निर्भर करता है। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील में कर्मचारियों ने कहा कि हरियाणा में 1983 से 2000 तक उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी के मामले में सरकारी नौकरों के बराबर पात्र माना जाता था। बाद में उन्हें वंचित किया गया जो सही नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई दस्तावेज नहीं पेश कर सका जो साबित करे कि सरकार ने इस लाभ के लिए उन्हें पात्र माना हो। ऐसे में सिंगल बेंच के आदेश में कोई कमी न पाते हुए हाईकोर्ट ने इसपर अपनी मोहर लगा दी और अपील खारिज कर दी।

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