
कुल्लू। जिला कुल्लू के ऊपरी इलाकों में मौसम की बेरुखी से सेब के छोटे पौधों को रोग ने जकड़ लिया है। बीमारी के चलते पौधे सूखने लगे हैं। जिला के तमाम ऊंचे इलाकों में तीन-चार साल पहले लगाए गए सेब के पौधों को कीडे़ लग रहे हैं। किसान-बागवानों का कहना है कि यदि इस समय बर्फबारी हो जाए तो यह रोग अपने आप खत्म हो जाएगा। लेकिन हिमपात नहीं हुआ तो सेब के पौधों को तबाह होने में वक्त नहीं लगेगा।
जिला में किसान-बागबान बगीचों में तौलिये बनाने, प्रूनिंग करने और खाद डालने में जुटे हैं। लेकिन सेब के पौधों में लगे कीड़ों ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। सेब के पौधों के साथ नाशपाती के पौधों के जड़ों में भी कीड़ों ने छेद कर दिए हैं। पौधों की अधिकतर टहनियां कैंकर रोग से ग्रसित हैं। कुल्लू जिला के अप्पर वैली के किसान-बागबान अमर चंद, मुरलीधर, विवेक, दियार घाटी के किसान हरीश, पवन और ज्ञान चंद ने कहा कि सेब और नाशपाती के पौधों के तने में कीड़ों ने छेद कर दिए हैं। इससे काफी सारे पौधे पूरी तरह से सूख चुके हैं। मणिकर्ण घाटी के बागवान कर्मचंद, होतम राम, जीत राम और ओमप्रकाश ने कहा कि छोटे पौधों की जडे़ं सूख गई हैं और बडे़ पौधों की अधिकतर टहनियाें में कैंकर रोग लग गया है। किसानों का कहना है कि अगर इन दिनों बर्फबारी होती तो शायद सेब, नाशपाती, आडू, खुर्मानी और पलम के पौधे इस बीमारी की चपेट में नहीं आते।
टहनियों को खुरचकर करें पेंट : बुशैहरी
एग्रीकल्चर डीपी प्रोजेक्ट के डायरेक्टर तेज राम बुशैहरी ने बताया कि काटछांट के बाद पेड़ों के कटे हुए भागों और कैंकर रोग से ग्रसित टहनियों को अच्छी तरह से खुरच कर इस पर चौबटिया पेंट का लेप करें। ताजा पौधे लगाने के बाद के पौधे के तीन फुट के घेरे में क्लोरपाईरीफॉस (5 मिली. डरमैट, डरसबान, रुबान, मासबान 10 ई.सी. प्रति लीटर पानी) के घोल से जड़ों की सिंचाई करें। बताया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां जल्दी बर्फ पड़ने की संभावना रहती हैं वहां बागवान जल्दी काटछांट करें।