सरकार-केमिस्ट और मेन्युफेक्चरर का बड़ा नेक्सेस

शिमला। स्टेट एसोसिएशन आफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर ने आईजीएमसी में प्रेस वार्ता के दौरान आरोप लगाया है कि ड्रग कंट्रोलर, केमिस्ट और मेन्युफेक्चरर के बीच एक बड़ा नेक्सेस है। क्या ये मरीजों को मारने के लिए लाइसेंस जारी कर रहे हैं? दवा के दाम पर बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। सेम कंपनी, सेम प्रोडक्ट की दवा के मूल्य अलग अलग हैं। मरीजों को एक ही कंपनी के सेम प्रोडक्ट के लिए अलग अलग कीमत चुकानी पड़ रही है। इसमें डाक्टरों का कहां दोष है? डाक्टर जेनरिक मेडिसन लिख रहे हैं लेकिन जन औषधालय में यह उपलब्ध ही नहीं। दवा की गुणवत्ता और मूल्य सरकार तय करती है न कि डाक्टर।
एसोसिएशन के महासचिव डा. राजेश कश्यप ने सरकार पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि जीवन रक्षक दवाओं के मूल्य फिक्स क्यों नहीं करते जैसे 1990 से पहले थे। जीवन रक्षक दवाओं, सर्जिकल आइटम, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कैंसर की दवाएं इतनी मंहगी क्यों हैं? इसकी कीमत पर नियंत्रण क्यों नहीं किया जा रहा? इसके पीछे ड्रग कंट्रोलर आफिशियल, केमिस्ट और मेन्युफेक्चरर के बीच एक बड़ा नेक्सेस है।
———–
एक ही दवा की अलग-अलग कीमत
सेमडिकोट ने एक एंटी बाइटिक इंजेक्शन के तीन सैंपल सामने रखे। इसमें दो इंजेक्शन एक ही ब्रांडेड कंपनी के थे। इनमें कंपनी ने जेनरिक ब्रांड के इंजेक्शन का रेट 37.50 पैसे है और ओपन मार्केट में बिकने वाला सेम इंजेक्शन 74.18 पैसे का है। तीसरा इंजेक्शन जन औषधि केंद्र से लिया गया, वहां इंजेक्शन 37 रुपये 50 पैसे का दिया गया। तीनों इंजेक्शन के बिल पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता के दौरान रखे और कहा कि इसमें कहां डाक्टर की गलती है? अपनी गलती छिपाने के लिए डाक्टरों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें बदनाम किया जा रहा है। अगर इस इंजेक्शन के टेंडर अस्पताल कॉल करे तो यह मरीज को 10 से 12 रुपये में मिलेगा।
——–
2 रुपये की दवा पर एमआरपी 80 रुपये
सेमडिकोट के अध्यक्ष डा. अनिल ओहरी ने कहा कि जेनरिक की परिभाषा साफ नहीं है। पेन किलर में कंबिनेशन कैसे बनाएंगे? मेन्युफेक्चरर को किसी दवा का एक पत्ता 2 रुपये में तैयार हो रहा है और केमिस्ट शाप तक वह पांच रुपये में पहुंच रहा है। उस पर एमआरपी 80 रुपये है। इस कीमत को सरकार ही नियंत्रित कर सकती है। ड्रग डायरेक्टर जनरल आफ ड्रग कंट्रोल खुद कंफ्यूज्ड हैं। वह खुद कह रहे हैं कि एक्सपोर्ट क्वालिटी ब्रांडेड होनी चाहिए। ऐसे में यहां सरकार निर्देश दे रही है कि ब्रांडेड और कीमती दवा न लिखें।
——
सरकार से यह रखी मांग
दवाआें की कीमत पर नियंत्रण करो
दवाओं की गुणवत्ता जांचें और नियंत्रित करें
सभी स्वास्थ्य संस्थानों से सिविल सप्लाई की दवा दुकानें हटा दें
———-
दवा पर एमआरपी हम नहीं लगाते
हिमाचल प्रदेश सोसाइटी आफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एलायंस के अध्यक्ष संजीव पंडित ने कहा कि नेशनल प्रोडक्ट प्राइजिंग अथारिटी दवा के मूल्य तय करती है। यह ब्रांच पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन काम करती है। जो रेट इनके द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, उसी पर केमिस्ट दवा बेचता है। उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।

मामला ध्यान में है : स्वास्थ्य निदेशक
स्वास्थ्य निदेशक डा. डीएस चंदेल ने कहा कि एक ही कंपनी का सेम प्रोडक्ट (इंजेक्शन) और उसकी अलग अलग कीमत का मामला उनके ध्यान में लाया गया है। इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं।

Related posts