
अखिल भारतीय डाक सेवक संघ के आह्वान पर चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल छठे दिन भी जारी रही। सरकार व विभाग की अनदेखी के कारण ग्रामीण डाक सेवकों में रोष है। गौरतलब है कि भारत की लगभग 80 प्रतिशत जनता गांवों में निवास करती है। भारत सरकार के कल्याणकारी डाक विभाग द्वारा जलकल्याण हेतु अनेक योजनाएं बचत खाता, एफडी, बीमा योजना व मनरेगा भुगतान इत्यादि कार्यों का संचालन ग्रामीण डाक सेवकों द्वारा किया जाता है। विभागीय अधिकारी विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति न होना ग्रामीण सेवकों की मांगों को पूरा न होने का कारण मान रहे हैं।
संघ का कहना है कि अधिकारी अपने शोषित कर्मचारियों की पीड़ा को समझने के बजाय जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहे हैं। विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के डाकघरों का कार्य 3 से 5 घंटे तक निश्चित है परंतु बड़े लक्ष्यों की पूर्ति हेतु ग्रामीण डाक सेवकों को विभाग द्वारा निर्धारित कार्य सीमा से अधिक दिन में लगभग 10 से 12 घंटे बंधुआ मजदूरों की तरह श्रम करना पड़ता है।