विद्युत परियोजनाओं के खिलाफ खड़े लोग

केलांग। शीत मरुस्थल लाहौल-स्पीति की हरित पट्टी पट्टन घाटी पर जलविद्युत कंपनी के मंसूबों की भनक ने स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों के कान खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी सूरत में पट्टन घाटी के पर्यावरण का पतन नहीं होने देंगे। घाटी में चंद्रा और भागा नदियों के संगम स्थल तांदी से उदयपुर तक चिनाब नदी पर आदित्य बिड़ला समूह को तीन प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं। इनमें 104 मेगावाट वाली तांदी, राशिल 102 और 126 मेगावाट का बरदंग प्रोजेक्ट शामिल है। इनसे करीब एक दर्जन पंचायतों के हजारों लोग प्रभावित होंगे।
बीते दिनों प्रोजेक्ट साइट के आसपास रॉक टेस्टिंग के लिए पहुंचे कंपनी के अधिकारियों तथा ठेकेदारों को स्थानीय लोगों ने खदेड़ दिया था। गौशाल पंचायत प्रधान देव प्रकाश, तांदी के सुरेश कुमार, शांशा के वीर सिंह, थिरोट के जगदीश और उदयपुर के शमशेर सिंह का कहना है कि लोग परियोजनाओं के खिलाफ हैं। लिहाजा, सभी पंचायतों ने कंपनी को निर्माण संबंधी शुरूआती प्रक्रिया आरंभ करने से इन्कार कर दिया है। गौशाल पंचायत ने परियोजना के लिए होनी वाली कंपनी की रॉक टेस्टिंग प्रक्रिया रुकवा दी है।

क्या होगा प्रोजेक्टों का असर
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार चिनाब बेसिन में मौजूद पहाड़ और चट्टानें काफी कमजोर हैं। विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के समय होने वाली ब्लास्टिंग तथा अन्य कार्य पर्यावरण के लिए काफी घातक साबित होंगे। क्षेत्र की हरित पट्टी के जलमग्न होने के साथ-साथ यहां परंपरागत जलस्रोत भी खत्म हो जाएंगे। पीरपंजाल रेंज के ग्लेशियरों का वजूद खतरे की जद में आएंगे। सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर फैले चरागाह तबाह हो जाएंगे।

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