मेडिकल टीचर्स पर भड़के रेजीडेंट डाक्टर

शिमला। जेनेरिक और ब्रांडेड दवाओं के बीच छिडे़ घमासान के बाद अब मरीजों को लिखी जाने वाली दवाओं की लिस्ट बनाने को लेकर आईजीएमसी का माहौल गरमा गया है। स्टेट एसोसिएशन आफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर्स (सेमडिकाट) द्वारा दवाओं की लिस्ट बनाने के लिए गठित कमेटी पर रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन (आरडीए) ने ऐतराज जताया है।
आरडीए के अध्यक्ष डा. राजीव चौहान ने कहा कि सेमडिकाट किस आधार पर दवाओं की लिस्ट करेगी। मरीजों को कौन सी दवाएं लिखी जानी हैं, यह तय करना सरकार का काम है। आईजीएमसी में आने वाले कुल मरीजों में से करीब अस्सी फीसदी मरीजों का उपचार रेजीडेंट डाक्टर करते हैं। ऐसे में कल को क्या आरडीए भी तय करेगी कि मरीजों को कौन सी दवाएं लिखी जाएं। आरडीए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. कश्यप और महासचिव डा. हिमांशु मित्तल ने कहा कि आईजीएमसी के डाक्टर सेमडिकाट के कहे पर नहीं चलेंगे।
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‘‘सैंपल दवाएं वार्ड में वितरित हाें’’
रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. राजीव चौहान का कहना है कि आईजीएमसी में फार्मा कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सैंपल दवाओं का वितरण वार्डों में होना चाहिए। डाक्टरों के कैबिन में सैकड़ों दवाओं के सैंपल रखे-रखे एक्सपायर हो जाते हैं लेकिन इन्हें गरीब मरीजों को देने की कोई जहमत नहीं उठाता। सेमडिकाट को इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखना चाहिए।

सेमडिकाट और आईएमए हुए ‘हाईजेक’
आरडीए ने आरोप लगाया है कि कुछ वरिष्ठ डाक्टरों ने सेमडिकाट और आईएमए को ‘हाईजेक’ कर लिया है। एक साथ दो जगह पदाधिकारी बने हुए हैं। ऐसे डाक्टरों को नैतिकता के आधार पर एक पद छोड़ना चाहिए। सेमडिकाट के चुनाव क्यों नहीं करवाए जा रहे, यह भी मंथन का विषय है।

पर्चियों के आडिट पर प्रतिक्रिया गलत
आरडीए अध्यक्ष डा. राजीव चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य निदेशक की ओर से मरीजों को लिखे जाने वाली पर्चियों के आडिट के बयान पर सेमडिकाट की प्रतिक्रिया गलत है। आईजीएमसी के डाक्टर स्वास्थ्य निदेशक के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। हम अपने-अपने विभागाध्यक्ष के प्रति जवाबदेह हैं।

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