
धर्मशाला। प्रदेश में अब झोलाछाप डाक्टरों का धंधा खत्म हो जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने बिना डिग्री और प्रशिक्षण के मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले डाक्टरों पर शिकंजा कसने की मुहिम शुरू कर दी है। विभाग अब सभी सरकारी से निजी अस्पतालों तथा स्वास्थ्य शिक्षण संस्थानों का पंजीकरण करेगा। इसके तहत एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योगा, प्राकृतिक चिकित्सा से लेकर दवाई की दुकानें चला रहे कथित झोलाछाप डाक्टरों की रजिस्ट्रेशन की जाएगी।
जानकारी के अनुसार विभाग ने ये दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं कि 31 मार्च से पहले सभी को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। विभाग सर्वप्रथम प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन करेगा। इसके बाद नियमित पंजीकरण किया जाएगा। विभाग की इस मुहिम से प्रदेश में सक्रिय झोलाछाप डाक्टरों का पर्दाफाश हो सकेगा। वहीं विभिन्न नर्सरी होम मरीजों से मनमाने दाम भी नहीं वसूल सकेंगे। क्याेंकि पंजीकरण के दौरान उन्हें सुविधानुसार इलाज की कीमत का निर्धारण करना होगा। इसके अलावा विभाग प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के वक्त तो कोई जांच नहीं करेगा, लेकिन नियमित पंजीकरण से पहले सभी संस्थानों और अस्पतालों की तह तक जांच करेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. शशि पाल सिंह ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने रजिस्ट्रेशन करवाने के मामले में पहल की है। उन्होंने कहा कि बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी स्वास्थ्य शिक्षण संस्थान अथवा अस्पताल नहीं चल सकेगा। वहीं इस मुहिम से झोलाछाप डाक्टरों का पर्दाफाश होगा। विभाग की वेबसाइट पर इसका पूरा परफॉर्मा उपलब्ध है, जहां से पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है।
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चार सदस्यीय कमेटी करेगी रजिस्ट्रेशन
रजिस्ट्रेशन करने के लिए विभाग जिला स्तर पर चार सदस्यीय कमेटी का गठन करेगा। इसमें आईएमए के प्रधान, एक मनोनीत एनजीओ का सदस्य, एक प्रशासनिक अधिकारी और एक उच्च स्वास्थ्य अधिकारी रहेगा। स्वास्थ्य केंद्रों और संस्थानों को अपना पंजीकरण करवाने केलिए फीस भी देय करनी होगी। इसके तहत इन्हें 500 से लेकर 2500 रुपये तक फीस देनी होगी।
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सरकारी अस्पतालों की भी होगी रजिस्ट्रेशन
स्वास्थ्य विभाग निजी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों पीएचसी से जोनल अस्पताल तक सभी छोटे बड़े अस्पतालों का पंजीकरण करेगा। सरकारी अस्पतालों से पंजीकरण के लिए फीस देय नहीं होगी।