
चम्बा : जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर रावी नदी के दूसरे छोर पर मौजूद तडग़्रां में रहने वाले लोगों को इन दिनों अपनी जान को रोज मौत के मुंह में डालने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोग इस खतरे को शौकिया तौर पर उठाने के लिए मजबूर हैं या फिर वे इससे अनजान बने हुए हैं लेकिन कोई दूसरा विकल्प न होने के चलते उन्हें ऐसा करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि इस गांव को अभी तक सड़क सुविधा प्राप्त नहीं है क्योंकि यह गांव रावी नदी के दूसरे छोर पर बसा हुआ है।
इस गांव के लिए आवाजाही करने का एकमात्र साधन सरकार द्वारा झूला पुल यानी की घरूरी की सुविधा मुहैया करवाई गई है। रावी नदी पर बने इस झूला पुल के सहारे ही तडग़्रां के लोग रोज आवाजाही करते हैं। यहां तक कि इस गांव में कोई भी वरिष्ठ, उच्च व माध्यमिक स्कूल न होने के चलते यहां के बच्चों को रावी नदी पार करके करीयां आना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से यह झूला पुल खराब पड़ा हुआ है। गरारी के खराब होने के चलते अब यहां के लोगों को पैदल रावी नदी पार करनी पड़ रही है, जोकि सीधे-सीधे मौत को दावत देने के समान है।
ग्रामीण इसके बारे में लोक निर्माण विभाग को सूचना दे चुके हैं लेकिन कई दिन बीत गए हैं अभी तक इसे ठीक करने की विभाग ने जहमत नहीं उठाई है। मौजूद परिस्थिति के चलते अब लोगों के लिए रावी नदी को पैदल पार करके दूसरी तरफ आने-जाने की कोई सुविधा नहीं है। इसी के चलते यहां के लोग सुबह-शाम कड़ाके की ठंड के बीच रावी नदी को पैदल पार कर रहे हैं। यहीं नहीं, स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को भी ऐसा ही करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
खुदा न करे अगर कभी रावी नदी को पार करते समय उसके बहाव में बढ़ौतरी होती है तो कई मासूम जिंदगियां काल का ग्रास बन सकती हैं, ऐसे में सरकार व प्रशासन द्वारा इस गांव के प्रति अपनाए जा रहे रुख को लेकर उसकी संवेदनशीलता का आभास होता है। ग्रामीणों का कहना है कि अपने गांव को पुल की सुविधा से जोडऩे के लिए कई बार वे प्रशासन व सरकार से मांग कर चुके हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में अब उन्हें हर दिन खूनी रावी नदी को पैदल पार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
इस स्थिति के बारे में जानकारी मिली है जिसके चलते लोक निर्माण मंडल चम्बा को इस झूला पुल को तुरंत ठीक करने के आदेश जारी
किए जाएंगे।
डा. सुनील, चौधरी उपायुक्त