
ऊना। जिले में जर्जर हालत में चल रहे लगभग 103 स्कूल भवनों में 181 कमरे बेहद असुरक्षित हैं। इन्हें गिराने के लिए अभी तक विभाग की ओर से कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। हालत ऐसी है कि जिले में सैकड़ों छात्र मौत के साये में शिक्षा हासिल करने को विवश हैं। जबकि, जिले के छतरपुर ढाडा में दीवार गिरने से चार छात्रों की मौत के बाद प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश भर के जर्जर स्कूल भवनों को तुरंत गिराने के आदेश जारी किए गए थे। हैरत है कि आज उस हादसे को दो वर्ष बीत गए हैं, लेकिन स्कूलों के जर्जर भवनों को गिराने के लिए मात्र कमेटियों के गठन तक ही मामला पहुंच पाया है। हालांकि, इन भवनों को न गिराए जाने को लेकर कई प्रकार के बहाने बनाए जा रहे हैं। जिले में छतरपुर कांड के तुरंत बाद किए गए निरीक्षण के दौरान लगभग 63 ऐसे स्कूल भवनों को चिन्हित किया गया था जो असुरक्षित थे। इसके बाद फिर किए निरीक्षण में भी 18 ऐसे भवन सामने आ गए हैं।
विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों की ओर से इसकी विस्तृत रिपोर्ट भी निदेशालय को प्रेषित की गई थी। लेकिन, इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इन जर्जर भवनों पर कोई कदम न उठाए जाने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि शायद शिक्षा विभाग को छतरपुर ढाडा जैसे और हादसे का इंतजार है।
उधर, एसएसए के जिला परियोजना अधिकारी जेआर कौशल का कहना है कि 43 कमरों को गिराने का काम दे दिया गया है। अन्यों पर भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी उपमंडलों में एसडीएम पर आधारित कमेटियां गठित की गई हैं।