चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को राहत

चंडीगढ़। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स एपीलाइट ट्रिब्यूनल के उन आदेशों पर रोक लगा दी है, जिसमें ट्रिब्यूनल ने राजीव गांधी इन्फामेशन टेक्नालाजी पार्क प्रोजेक्ट को लेकर सीएचबी को असेसमेंट एयर 2007-2008 के तहत 270 करोड़ रुपये की रिकवरी ऑफ डिमांड के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में सीएचबी ने दलील दी कि इस प्रोजेक्ट में बोर्ड ने सिर्फ चंडीगढ़ प्रशासन की नोडल एजेंसी के रूप में काम किया है, प्रोजेक्ट के तहत मिली सारी राशि डिपोजिट करवा दी है। चीफ जस्टिस एके सीकरी एवं जस्टिस राकेश कुमार जैन ने बुधवार को ट्रिब्यूनल के रिकवरी ऑफ डिमांड के आदेशों पर रोक लगा दी। मामले की आगामी सुनवाई 12 दिसंबर के लिए निर्धारित की है।
सीएचबी की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल एलपीए में कहा गया है कि बोर्ड ने 2008-2009 के असेसमेंट एयर में इन्कम टैक्स रिटर्न के लिए अपनी इन्कम 39, 46, 46, 070 रुपये घोषित की थी। रिटर्न में बाकायदा नेचर ऑफ बिजनेस भी शो किया गया। बोर्ड की रिटर्न स्क्रूटनी के लिए गई, लेकिन डीसीआईटी सर्कल-1 ने जबरन पिछले असेसमेंट एयर की अर्जित इनकम को भी जोड़ दिया। आयकर विभाग ने राजीव गांधी इनफारमेशन टेक्नालाजी पार्क में सेल ऑफ डेवलेपमेंट राइट्स का हवाला देकर बोर्ड पर आरोप लगाया कि बोर्ड ने डेवलेपमेंट राइट शो नहीं किए हैं और पार्श्व नाथ बिल्डर्स के साथ जो डील के बाद जो आय अर्जित हुई है, उसे रिटर्न में इसे नहीं दिखाया है। इनकम टैक्स के एपीलाइट ट्रिब्यूनल में इस डील के तहत 270 करोड़ की टैक्स रिकवरी के निर्देश जारी कर दिए। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में सीएचबी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में बोर्ड ने चंडीगढ़ प्रशासन की नोडल एजेंसी के रूप में काम किया, जबकि प्रोजेक्ट पर सारा कंट्रोल चंडीगढ़ प्रशासन का ही था। याचिका में कहा गया है कि पहले और दूसरे चरण में 351 एकड़, जबकि दूसरे और तीसरे चरण पर 270 एकड़ जमीन पर जमीन पर कंस्ट्रक्शन होनी थी। सीएचबी के पास 25728 के करीब डिवेलिंग यूनिट्स थी, जो कि श्रम पुनर्वास योजना स्कीम के तहत किराए पर दी जानी थी। बोर्ड ने आगे कहा कि प्रोजेक्ट के तहत बोर्ड को मिली बिड मनी और राजस्व शेयर के रूप में मिली 278, 56,57, 614 रुपये की राशि जमा करवाई जा चुकी है। बोर्ड ने वित्त विभाग के आदेश पर यह राशि जमा करवाई है। इस लिए 2007-2008 की रिकवरी ऑफ डिमांड नहीं बनता, लिहाजा इस पर रोक लगाई जाए। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड की याचिका को एडमिट करते हुए अगली सुनवाई तक रोक के आदेश जारी कर दिए।

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