
हमारे आस पड़ोस में कुछ लोग ऐसे होते हैं कि जो कुछ ज़्यादा ही शराब पीते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जो शराब का नाम सुनते ही सारा काम धाम जोड़कर पीने में जुट जाते हैं।
कुछ ऐसे होते हैं जो पैग दर पैग पीने के बाद भी अपना होश नहीं गंवाते हैं। कुछ ऐसे लोग होते हैं जो शराब का सेवन करते ही ‘आनंद लोक’ में पहुंच जाते हैं। हर एक घूंट उनकी ख़ुशी को बढ़ाने लगती है।
क्या आपने कभी सोचा है कि इन लोगों का व्यवहार ऐसा क्यों होता है? अब पहली बार ये बात सामने आई है कि ऐसे लोगों में एक खास तरह की समानता होती है।
इस बारे में शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने पहली बार माना है कि कुछ लोगों में एक खास तरह का जीन मौजूद होता है जिसके चलते वह कहीं ज़्यादा पीते हैं।
प्रोसेडिंग ऑफ़ द नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंस (पीएनएएस) जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक आरएएसजीआरएफ-2 नामक जीन पीने की लत को प्रभावित करता है।
लंदन के किंग्स कॉलेज के विशेषज्ञों ने पाया है कि जिन सजीवों में यह जीन नहीं होता है, उसमें शराब पीने की इच्छा कम होती है।
खास जीन का शराब की लत से रिश्ता
इन विशेषज्ञों ने 663 बच्चों के मस्तिष्क का अध्ययन किया है जिसमें यह सामने आया है कि यह खास जीन डोपामाइन के प्रवाह को बढ़ा देता है। डोपामाइन ऐसा रसायन है जो मानव मस्तिष्क में आनंद और ख़ुशी को नियंत्रित करता है।
लगभग 14 साल के इन बच्चों को कुछ इस तरह के काम दिए गए जिससे मस्तिष्क का वेंट्रल स्ट्रेटम वाला हिस्सा ज़्यादा सक्रिय हो, क्योंकि यह हिस्सा डोपामाइन निकालता है।
दो साल बाद जब ये बच्चे 16 साल के हुए तब विशेषज्ञों की टीम ने इनके शराब सेवन की आदतों के बारे में आंकड़े जुटाए और पाया कि जिन बच्चों में आरएएसजीआरएफ़-2 जीन था, वह कहीं ज़्यादा सहजता से पी रहे हैं।
नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक़ बिंज ड्रिंकिंग का मतलब वैसी शराबनोशी है जिसमें आप थोड़े समय में काफ़ी ज़्यादा शराब पीते हैं और नशे में आ जाते हैं।
लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रमुख विशेषज्ञ प्रोफेसर गुंटर स्कूमान ने बताया कि अब तक इस पहलू के पूरे सबूत नहीं मिले हैं कि इस खास जीन के चलते ही लोग जमकर शराबनोशी करते हैं क्योंकि यह कई अन्य कारकों और दूसरे जीनों पर भी निर्भर करता है।
गुंटर स्कूमान के मुताबिक़ इस नतीजे से यह ज़रूर पता लगाने में मदद मिलेगी कि कुछ लोग पीने के लिए कुछ ज़्यादा ही क्यों मचलते हैं।
गुंटर ने कहा, “कुछ लोगों में शराब के लिए हद से ज़्यादा लालच क्यों होता है, इसका पता चला है। इस खास जीन के चलते लोग शराब पीने के बाद ज़्यादा आनंद महसूस करते हैं।”
गुंटर के मुताबिक़, ”हमने इस पूरे मसले को समझा है। किस तरह से यह जीन इंसानों के दिमाग पर असर डालता है और उससे कैसे मानव व्यवहार प्रभावित होता है।”
उन्होंने बताया, “हमने पाया है कि आरएएसजीआरएफ़-2 जीन शराब पीने के बाद मस्तिष्क से निकलने वाले डोपामाइन को नियंत्रित करता है और इससे इंसान आनंद का अनुभव करता है।”
गुंटर ने यह भी स्पष्ट शब्दों में बताया, “अगर किसी इंसान में आरएएसजीआरएफ़-2 जीन मौजूद है तो निश्चित तौर पर शराब पीना आपके आनंद को कई गुना बढ़ा देगा और आप आला दर्जे के पियक्कड़ हो सकते हैं।”
शराब की लत छुड़ाने में मिलेगी मदद
हालांकि गुंटर यह कहते हैं कि इस सिद्धांत को साबित करने की दिशा में अभी काफ़ी काम करने की ज़रूरत है क्योंकि इस शोध में अभी महज़ किशोरा अवस्था के कुछ बच्चे ही शामिल थे।
गुंटर ये भी बताते हैं कि भविष्य में यह संभव है कि जीन टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि क्या उस इंसान में शराब की लत लगने का ख़तरा है।
इस नतीजे से चिकित्सकों को नई दवा विकसित करने में भी मदद मिलेगी। अगर शराब पीने से आनंद के भाव पर अंकुश लगाया जा सकता है, तो यह दवा शराब की लत को छुड़ाने में ज़्यादा कारगर होगी। अकेले ब्रिटेन में हर साल पांच हज़ार से ज़्यादा किशोर शराब के सेवन के चलते अस्पताल पहुंच रहे हैं।
मेडिकल काउंसिल ऑन एल्कोहल के डॉ. डोमिनिक फ्लोरिन ने कहा, “कोई भी अध्ययन जो हमारी समझ को बढ़ाती है, वह उपयोगी है।”
फ्लोरिन ने कहा, “यह संभव है कि शराब की लत का जीन से संबंध हो, लेकिन आप यह नहीं कह सकते हैं कि अगर आप में ये जीन है तो आपको शराब का सेवन नहीं करना चाहिए और अगर ये जीन मौजूद है तो आप पी सकते हैं।”