कृषक मित्र तैनात किए, वेतन देना भूले

थानाकलां (ऊना)। प्रदेश सरकार के उदासीन रवैये के चलते हिमाचल के हजारों कृषक मित्र हताश हैं। हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार ने दो वर्ष पहले सूबे की प्रत्येक पंचायत में कृषक मित्रों की नियुक्ति किसानों एवं बागवानों को कृषि विभाग की जानकारियां उपलब्ध करवाने के लिए 2 अक्तूबर 2012 को की थी। इनका काम किसानों के खेतों के मिट्टी के परीक्षणों के साथ-साथ वाटरशेड एवं अन्य योजनाओं की जानकारी किसानों तक पहुंचाना है। इसके सार्थक परिणाम भी आने आरंभ हो गए हैं। इन कृषक मित्रों को चार हजार रुपये प्रतिवर्ष एवं अन्य सुविधाएं देने के नाम पर नियुक्त किया गया था। लेकिन, दो वर्ष बीत जाने के बाद भी इन कृषक मित्रों कोेे न तो वेतन मिल पाया है और न ही किसी प्रकार की अन्य सुविधाएं मिल पाई हैं। हिमाचल प्रदेश में इस वक्त 3200 कृषक मित्र कृषि विभाग की जानकारियां पंचायत स्तर पर ग्रामीणों को पहुंचा रहे हैं। कृषक मित्रों में गुलजारी लाल सहोता, मनोहर लाल, श्याम लाल, गुरदेव सिंह, सुरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, लेख राज, प्रदीप कुमार का कहना है कि वह वेतन न मिल पाने के संबंध धर्मशाला में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिले थे तो उन्होंने वेतन देने एवं नई नीति बनाने का आश्वासन दिया था। अब सभी कृषक मित्र सीएम से आस लगाए बैठे हैं। इनका आरोप है कि दो वर्ष बीतने के बाद भी उन्हें वेतन एवं कोई अन्य सुविधा नहीं मिल पाई है। इन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से वेतन देने की गुहार लगाई है।

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