
इलाहाबाद। मेला क्षेत्र में कुंभ के नाम पर अरबों रुपए का गोलमाल हो रहा है और उसका हिसाब रखने वाला कोई नहीं। अस्थायी के साथ स्थायी कार्यों में भी जमकर गड़बड़ी की जा रही है। उदाहरण के तौर पर मेला क्षेत्र में वेणी बांध पर दोनों तरफ खड़ंजे का काम कराया जा रहा है। दोनों तरफ की पटरियों पर 930-930 मीटर तक काम होना है। यानी कुल 1860 मीटर तक खड़ंजा की मरम्मत कराई जानी है। प्रोजेक्ट 13 लाख रुपए का है। यहां तक तो सब ठीक है लेकिन आगे के हिसाब में सब गोलमाल है। मेला कार्यालय के दरवाजे पर ही गड़बड़ी की जा रही है और अफसर आंखें मूंदकर बैठे हैं।
प्रोेजेक्ट सिंचाई विभाग है। वेणी बांध पर खड़ंजा पहले से बिछा था और उसमें कोई खामी भी नहीं थी लेकिन सड़क बनाए जाने के बाद खड़ंजा वाली रोड पटरी और नीची हो गई। रोड पटरी को ऊंचा करने के लिए खड़ंजे की ईटों को उखाड़कर बालू बिछाने के बाद पुरानी ईंटे ही वापस लगाई जा रही हैं जबकि प्रोजेक्ट में प्रावधान है कि तकरीबन 50 फीसदी जगह पर नई ईटें लगाई जाएंगी। कहां नई ईंटें लगाई गईं और कहां पुरानी, इसका कोई हिसाब नहीं। अगर कोई दस ईंटें नई लगवाए और बिल सौ ईंटों का दिखा दे तो यह गड़बड़ी पकड़ी नहीं जा सकती, क्योंकि खड़ंजा बनने के बाद नई और पुरानी ईंटों में फर्क तक पकड़ा जा सकता है जब एमएनएनआई जैसी किसी संस्था के विशेषज्ञ इसकी बारीकी से जांच करें, जिसकी गुंजाइश बहुत कम है। बृहस्पतिवार दोपहर एडीएम मेला आशुतोष द्विवेदी ने जब मेला कार्यालय के बाहर यह काम होते देखा तो सिंचाई विभाग वालों को बुलाकर पूछताछ की और हिदायत दी कि काम गुणवत्ता के साथ किया जाए लेकिन इस हिदायत से कुछ नहीं होने वाला। गड़बड़ी करने वाले तो अपने उद्देश्य में सफल हो चुके हैं। यह तो सिर्फ लाखों के गोलमाल एक उदाहरण है। मेला में तो अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं और उनकी कोई मॉनीटरिंग नहीं हो रही।
सोकपिट में भी लगाई गईं घटिया ईंटें
0 मेला क्षेत्र में अस्थायी शौचालयों को बनाने में पुरानी और घटिया गुणवत्ता वाली ईंटों का इस्तेमाल किया गया। मेले के बाद अस्थायी कार्यों के तहत लगाई गई ईंटें उखाड़कर फेंक दी जाएंगी या रेत के नीचे दबी रह जाएंगी। मेले के बाद ईंटों की गुणवत्ता के बारे में कोई पूछने वाला भी नहीं होगा। ऐसे में घपला करने वाले बच निकलेंगे और लाखों रुपए घोटाले की भेंट चढ़ जाएंगे।
उपभोग प्रमाणपत्र भी पचा गए अफसर
0 कुंभ पूरा होने के बाद अस्थायी कार्र्यों पर खर्च किए गए अरबों रुपए का हिसाब लगाना मुश्किल हो जाएगा। केंद्र सरकार ने इसी शर्त पर रकम जारी की थी कि पहले चरण का काम पूरा होने पर उसका उपभोग प्रमाणपत्र एजी ऑफिस को सौंपे जाने के बाद दूसरे चरण के कार्य शुरू कराए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसी भी काम का उपभोग प्रमाणपत्र एजी ऑफिस को नहीं दिया गया। कुंभ के बाद अस्थायी कार्यों के तहत लगाए गए बिजली के पोल, ट्रांसफार्मर, नलकूप, शिविर, शौचालय आदि सभी हटा लिए जाएंगे। ऐसे में अस्थायी कार्र्यों पर हुए खर्च का सही हिसाब लगा पाना मुश्किल हो जाएगा।