
नई दिल्ली ( वीरेन्द्र खागटा )खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया है। सरकार के पक्ष में 253 वोट, जबकि विपक्ष में 218 वोट पड़े। कुल 471 सांसदों ने वोट डाले। प्रस्ताव पारित कराने के लिए 236 वोट चाहिए थे।
इसी के साथ एफडीआई लागू करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) में अधिसूचित संशोधन खत्म करने का तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय का प्रस्ताव भी 224 के मुकाबले 254 मतों से गिर गया। ऐसा ही एक और प्रस्ताव पेश करने वाले निर्दलीय हसन खां ने चर्चा के बाद इसे वापस ले लिया।
वैसे नियम-184 के तहत किसी प्रस्ताव पर वोटिंग में सरकार हार भी जाती है तो सरकार को त्याग पत्र नहीं देना पड़ता। लेकिन नैतिक रूप से उसकी पराजय मानी जाती है और यह संदेश जाता है कि सदन में उसके पास बहुमत नहीं है।
राज्यसभा में जीत की चिंता नहीं: सोनिया
मतदान के परिणाम का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार के इस फैसले को सदन की भी मंजूरी मिल गई है। वहीं सोनिया गांधी ने जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि अब राज्यसभा में जीत की चिंता नहीं है।
सरकार की नैतिक हार: सुषमा स्वराज
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सदन में अपने प्रस्ताव के गिरने के बाद कहा कि यह सरकार की नैतिक हार है।
सपा-बसपा ने कर दी थी राह आसान
इससे पहले एफडीआई के मुद्दे पर बसपा और सपा ने लोकसभा से बहिर्गमन कर सरकार को शर्मसार होने से बचा लिया। दोनों दल सदन से अलग-अलग वॉकआउट कर यूपीए को किराना में हरी झंडी दिखाने में अप्रत्यक्ष तौर पर मदद कर गए। खास बात यह है कि दोनों ने रिटेल में एफडीआई का विरोध किया था।
बसपा नेता दारा सिंह चौहान ने कहा कि मंत्री उनके दल के सुझावों का संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। इसलिए उनकी पार्टी के सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर रहे हैं। इसके साथ ही बसपा के सभी 21 सांसद हंगामा करते हुए सदन से बाहर चले गए। इसके कुछ ही देर बाद सपा के 22 सांसद भी लोकसभा से वॉकआउट कर गए।