एड्स का ज्ञान ही बचाएगा जान

धर्मशाला। एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके आयोजन का मूल मकसद यही है कि एचआईवी व एड्स के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके। लेकिन स्वास्थ्य विभाग व अन्य संस्थाओं की लाख कोशिशों के बावजूद भी एड्स व एचआईवी के मामलों में किसी तरह की कमी देखने को नहीं मिल रही।
विश्व स्तर के आंकड़ों की बात करें तो सवा तीन करोड़ लोग एचआईवी व सवा करोड़ लोग एड्स से पीड़ित हैं। इनमें से हर वर्ष 17 लाख एड्स रोगी इस दुनिया को अलविदा कह रहे हैं। जबकि सालाना 25 लाख एचआईवी केनए मामले सामने आ रहे हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की बात करें तो एचआईवी एड्स से यह भी अछूता नहीं है। प्रदेश में 6335 व्यक्ति एचआईवी व 1958 एड्स से पीड़ित हैं। वहीं प्रदेश की जनसंख्या में सबसे बड़े जिले कांगड़ा में 1772 व्यक्ति एचआईवी व 591 एड्स से पीड़ित हैं। सरकार व विभाग की कोशिशों के बावजूद भी हर वर्ष एचआईवी के मामलों का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि विभाग अपनी ओर से कोेई कमी नहीं छोड़ रहा। दिसंबर माह में स्वास्थ्य विभाग के सौजन्य से रेड रिबन क्लब जगह-जगह जागरूकता शिविर लगाएगा। इस बारे में एड्स कार्यक्रम अधिकारी डा. आरके सूद का कहना रहा कि लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से पूरा माह जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसकी शुरुआत एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर ही कर दी गई है। पालमपुर के दरंग स्कूल के छात्रों ने एड्स के प्रति जागरूकता रैली निकाली

ग्रामीण स्तर पर जागरूकता
इस मर्तबा विभाग एड्स दिवस का आयोजन जिला स्तर पर करने की बजाय गांव स्तर पर करने जा रहा है, जो दिसंबर के अंत तक जारी रहेगा। मकसद ग्रामीण लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया जा सके।

कांगड़ा में तीन एआरटी ब्रांच
प्रदेश में जहां तीन एआरटी सेंटर हैं। वहीं जिला कांगड़ा में विभाग ने पीड़ितों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए टीएमसी कांगड़ा के अलावा पालमपुर व देहरा में इसकी शाखाएं स्थापित कर दी हैं।

औरों को दे रहे सीख
एआरटी टांडा मेडिकल कालेज में दवा ले रहा एक एचआईवी पीड़ित अन्य लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ एआरटी सेंटर में आने वाले पीड़ितों को भी संदेश दे रहे हैं। वह सेंटर में रहकर लोगों को एड्स जैसी भयंकर बीमारी से एहतियात बरतने की सीख दे रहे हैं।

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