अब आयोजन के बाद नहीं होगा प्रस्ताव पास

चंडीगढ़। बाल दिवस के आयोजन में अविश्वसनीय खर्च को लेकर छपी खबर ‘बच्चों के नाम पर खूब खाया बड़ों ने’ पर सोमवार को नगर निगम की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। आयोजन का यह खर्च कार्यक्रम के एक सप्ताह बाद पास करवाया गया था। करीब सवा घंटे के हंगामे के बाद सदन ने प्रस्ताव पास किया कि भविष्य में अब खर्च का कोई भी प्रस्ताव आयोजन के बाद पास नहीं होगा। इसकी अनुमति आयोजन से पहले लेनी होगी। आर्ट एंड कल्चर कमेटी को भी वित्तीय पावर दी जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी खामियां न हों। यह वित्तीय पावर तय करने के लिए एक सब कमेटी का भी गठन किया जाएगा।

नगर निगम की बैठक में सोमवार को भाजपा पार्षद अरुण सूद ने अमर उजाला की प्रति लहराते हुए यह मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया कि 500 बच्चों के रिफ्रेशमेंट पर 48 हजार और अतिथियों के चाय-पकौड़े पर ही 84 हजार रुपये से ज्यादा कैसे खर्च हो गए। खर्च की कुल राशि साढ़े चार लाख रुपये को आयोजन के एक सप्ताह बाद क्यों पास करवाया गया। इस मामले की जांच होनी चाहिए। इस पर कांग्रेस के पार्षद तैश में आ गए और चर्चा को रोकने का प्रयास किया। उन्होंने मेयर पर भी दबाव बनाया कि चर्चा न की जाए। इस पर विपक्षी पार्षद भी चर्चा को लेकर अड़ गए तथा सवा घंटे तक खूब हंगामा हुआ। अंतत: चर्चा का निर्णय लिया गया और यह प्रस्ताव पास किया गया कि भविष्य में किसी भी आयोजन का खर्च समारोह खत्म होने के बाद पास नहीं होगा। आर्ट एंड कल्चर कमेटी को वित्तीय पावर दी जाएगी। इसके लिए मेयर द्वारा जल्द ही एक सब कमेटी का गठन किया जाएगा, जो कि यह पावर तय करेगी। बाल दिवस के आयोजन में हुए खर्चे का निर्णय यह कमेटी नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके पास पावर नहीं थी।

मैंने तो एक समोसा भी नहीं खाया : मेयर
भाजपा पार्षद अरुण सूद ने जब कहा कि बाल दिवस के समारोह में बच्चों से दोगुना खर्च तो अतिथियों के चाय पकौड़े पर आया। इस पर मेयर राज बाला मलिक ने उन्हें बीच में ही टोकते हुए कहा कि हमने तो उस आयोजन में एक भी समोसा नहीं खाया।

अतिथि डेढ़ सौ या एक हजार
सदन में विवाद हुआ तो कांग्रेसी पार्षदों ने यह कहना शुरू कर दिया कि समारोह में अतिथि डेढ़ सौ नहीं बल्कि एक हजार थे, जब मेयर ने भी कहा कि हां अतिथियों की संख्या एक हजार के करीब ही थी तो भाजपा पार्षद ने अरुण सूद ने कहा कि कल तो आपने एक समारोह में मुझे बताया था कि बाल दिवस के कार्यक्रम में डेढ़ सौ ही अतिथि थे और आज आप इनकी संख्या एक हजार बता रही हैं। इस पर सदन में शोरगुल शुरू हो गया।

एक सैंडविच भी बढ़ गया
अतिरिक्त कमिश्नर सुनील भाटिया ने सदन को बताया कि रिफ्रेशमेंट बच्चे को दो सैंडविच दिए गए थे, जबकि आयोजन में शामिल बच्चों का कहना था कि उन्हें एक सेंडविच मिला था। उनका कहना था कि हर बच्चे को एक पानी की बोतल भी दी गई थी। हर बच्चे पर करीब 65 रुपये खर्च रिफ्रेशमेंट पर आया था।

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