अब अफजल गुरू को भी दी जानी चाहिए फांसी

रायबरेली। आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने का जिले के बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि आतंकवाद देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है, जिसका खात्मा होना जरूरी है। हालांकि अभी सिर्फ कसाब को फांसी दिए जाने से आतंकवाद का सफाया नहीं हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि अफजल गुरू के साथ ही अन्य आतंकवादियों को फांसी देनी चाहिए, जो आतंकवाद में शामिल हैं। जिन आतंकवादियों की दया याचिकाएं राष्ट्रपति के पास विचाराधीन हैं, उनके निस्तारण में तेजी लाई जाए और आतंकियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाया जाए।
सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामबरन सिंह ने कहा कि कसाब को फांसी दिए जाना राष्ट्रहित में है। इससे भारतीय कानून की मजबूती का पता चलता है। आतंकवादियों के खिलाफ ऐसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए। अब अफजल गुरू को भी फांसी देनी चाहिए। समाजसेवी सुरेंद्र सिंह मोंगा ने कहा कि कसाब ने जघन्य अपराध किया था। अदालत से दोष सिद्ध होने के बाद उसे यही सजा मिलनी चाहिए थी। जो दया याचिकाएं लंबित हैं, उनका तेजी से निस्तारण किया जाए। खिलाड़ी सलामत उल्ला ने कहा कि गलत काम का नतीजा हरदम गलत होता है। बेगुनाहों का खून बहाने वालों के साथ रहम करना उचित नहीं है। आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विकासचंद्र द्विवेदी कहते हैं कि आतंकवादी किसी के नहीं होते हैं। निर्दोषों की जान लेने वालों का यही हश्र होना चाहिए। बंद आतंकवादियों की अदालती सुनवाई तेज हो। उन्हें सजा देकर पीड़ित परिवारों का आंसू पोंछना चाहिए। सेवानिवृत्त अधिकारी जेपी मिश्रा ने कसाब को फांसी दिए जाने के कदम को न्याय पालिका की निष्पक्षता बताई। कहा कि मुंबई में आतंक फैलाने और कई लोगों का खून बहाने वाले कसाब को ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए। वोट की राजनीति करने वालों को इससे सबक मिलेगा। भारत विकास परिषद महिला प्रकोष्ठ की सचिव नीलिमा श्रीवास्तव कहती हैं कि कसाब को काफी पहले फांसी दे देना चाहिए थी। इससे आतंकवादी गतिविधियों में सहयोग दे रहे देशों को सबक मिलेगी। देश हित में उठाया गया कदम अच्छा है।

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