यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में एक आशावादी परिदृश्य महसूस किया है, जिसमें कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के एक से दो दिन के अंदर मरीज को क्वारंटीन कर दिया जा रहा है। शोध टीम से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर समित भट्टाचार्य ने कहा, हमारा यह भी मानना है कि देश की 80 से 90 फीसदी जनसंख्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रही है। इस आशावादी परिदृश्य में हम पहले दिन के मुकाबले लॉकडाउन के 20वें दिन संभावित आंकड़ों में 83 फीसदी की कमी का आकलन कर रहे हैं।
शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि सरकार की तरफ से 24 मार्च को घोषित किए गए लॉकडाउन के चलते संक्रमण का फैलाव धीमा हुआ है और इससे ग्राफ पर कोविड-19 कर्व ‘समानांतर’ हो सकता है यानी रोजाना मिलने वाले नए संक्रमण और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या लगभग बराबर हो सकती है।
उनका कहना है कि कर्व के समानांतर होने से दिन बढ़ने के साथ नए मामलों की संख्या कम होती जाएगी और स्वास्थ्य सेवा तंत्र पर दबाव कम होता जाएगा। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले दो या तीन महीने तक समानांतर कर्व बनाए रखना बेहद मुश्किल काम है।