वर्तमान में डीटीसी के बेड़े में 3748 बसें हैं। डीटीसी प्रबंधन के मुताबिक, एक बस को दो शिफ्टों में चलाया जाता है। इस लिहाज से इन बसों को दोनों शिफ्ट में चलाने के लिए डीटीसी को 7496 चालकों और इतने ही कंडक्टरों की जरूरत है, जबकि इसके अतिरिक्त भी स्पेयर चालकों और कंडक्टरों को रखने का प्रावधान है।
वर्तमान में डीटीसी के पास स्थायी चालकों की संख्या दिनोंदिन कम होती जा रही है और अस्थायी चालकों में से भी काफी चालकों और कंडक्टरों को नौकरी से निकाल दिया गया था। अस्थायी कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद चालकों की कमी और बढ़ गई।
डीटीसी में एक अप्रैल, 2018 से अस्थायी चालकों की भर्ती शुरू की गई, जिसके तहत चालकों में डीटीसी बसों को चलाने में बेहद ही हल्का रुझान दिखा। एक अप्रैल, 2018 से लेकर 31 मार्च, 2019 तक यानी पूरे एक साल में महज 730 आवेदन आए, जिनमें से 581 चालकों का चयन किया गया। इसके बाद एक अप्रैल से लेकर अब तक डीटीसी को 534 अन्य आवेदन भी प्राप्त हुए हैं, लेकिन इन चालकों की भर्ती प्रक्रिया अभी प्रारंभिक चरण में है। पर्याप्त संख्या में चालक न मिलने के कारण डीटीसी ने भर्ती प्रक्रिया को 31 दिसंबर, 2019 तक बढ़ा दिया है।
सुविधाओं के अभाव में नहीं आ रहे
सूत्रों की मानें तो डीटीसी बस को चलाने के लिए चालक को प्रतिदिन 675 रुपये दिहाड़ी मिलती है। इसके अलावा न ही कोई मेडिकल लीव, कैजुअल लीव या अर्न लीव नहीं मिलती। इतना ही नहीं अस्थायी चालकों को मेडिकल बीमा की सुविधा भी नहीं मिलती, जबकि स्थायी चालकों को उतना ही काम करने पर तनख्वाह भी कई गुना ज्यादा और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। इसी वजह से इतने कम पैसों में चालक डीटीसी बसों को चलाने के लिए आगे नहीं आ रहे।
बस छोड़कर कैब चलाने लगे
सूत्रों के मुताबिक, डीटीसी प्रबंधन की नीतियों और कम दिहाड़ी से परेशान अस्थायी चालक डीटीसी बसों को छोड़कर कैब चलाने की ओर बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में 100 से अधिक चालकों द्वारा डीटीसी बसों को छोड़कर कैब या टैक्सी चलाने की जानकारी मिली है।