26/11 के मुंबई हमला: पाकिस्तानी गवाह ने एक आरोपी की पहचान की

इस्लामाबाद: अदालत में गवाहों ने वर्ष 2008 के मुंबई हमलों में शामिल होने के आरोपी सात पाकिस्तानियों में से एक की उस व्यक्ति की हैसियत से पहचान कर ली जिसने हमले में आतंकवादियों द्वारा उपयोग की गई नौका खरीदी थी।

अभियोजक पक्ष ने बताया कि रावलपिंडी के आडियाला जेल में आतंकवाद निरोधी अदालत के न्यायाधीश चौधरी हबीब-उर-रहमान के समक्ष बंद कमरे में सुनवाई में गवाहों ने आरोपी शाहिद जमील रियाज की पहचान की है। उन्होंने सुरक्षा कारणों से गवाहों के नाम नहीं बताए।

गवाहों ने न्यायाधीश को बताया कि रियाज और 10 अन्य लोगों ने मछली पकडऩे की बात कहकर 11 नौकाएं खरीदी थीं। इन सभी ने तह की जा सकने वाली नौकाएं खरीदी थीं। गवाहों ने न्यायाधीश को यह भी बताया कि उन्होंने इन लोगों को कभी समुद्र से मछली के साथ लौटते हुए नहीं देखा था।

सुनवाई के दौरान कुल चार निजी गवाहों से जिरह की गई। अभियोजकों ने पीटीआई को बताया, एक गवाह ने न्यायाधीश को बताया कि उसने आरोपी को 1.6 लाख रुपए में यमाहा बोट इंजन बेचा था जबकि दूसरे गवाह ने बताया कि उसने आरोपी को छह पंप बेचे थे।

गवाहों ने अमजद खान और अतीकुर रहमान सहित 10 लोगों की पहचान की। ये सभी कथित तौर पर 26 नवंबर 2008 में हुए मुंबई हमले की साजिश और उसके क्रियान्वयन में शामिल थे। हमलों में 166 लोग मारे गए थे। आतंकवाद-निरोधी अदालत ने इन 10 लोगों को पहले ही भगोड़ा घोषित कर दिया है।

मुख्य अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली ने पीटीआई को बताया, ‘‘10 भगोड़े अपराधी मुंबई हमले को अंजाम देने के आरोपियों के प्रशिक्षक या फिर सहायक थे।’’

अदालत को एक गवाह ने बताया कि अमजद खान अल-हुसैनी नामक नौका के लिए उससे बंदरगाह के उपयोग की अनुमति ली थी। आतंकवादियों ने इस नौका का उपयोग किया था। अन्य गवाह ने बताया कि अमजद खान नौकाओं की खरीद में भी शामिल था।

मुख्य अभियोजक अली ने चारों निजी गवाहों की पहचान हम्जा बिन तारिक, मोहम्मद अली, मोहम्मद सैफुल्ला खान और उमर दराज खान के तौर पर की है। उन्होंने सुरक्षा कारणों से गवाहों के संबंध में और जानकारी देने से इंकार कर दिया। सभी गवाह कराची के रहने वाले हैं।

मुंबई हमले की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संघीय जांच एजेंसी के अतिरिक्त निदेशक अल्ताफ हुसैन भी सुनवाई के दौरान मौजूद थे लेकिन उनकी गवाही नहीं हो सकी। बचाव पक्ष ने मांग की कि निजी गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद हुसैन का बयान दर्ज किया जाए।

अभियोजकों ने बताया कि बचाव पक्ष के मुख्य वकील की अनुपस्थिति के कारण चारों निजी गवाहों से जिरह नहीं हो सकी। न्यायाधीश ने मामले की सुनवायी को 27 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया है । इसी दिन चारों गवाहों से जिरह किए जाने की संभावना है।

अली ने कहा, ‘‘गवाहों ने दोबारा बुलाए जाने का विरोध किया क्योंकि इस पर उन्हें काफी खर्च आएगा। उन्होंने कराची के रावलपिंडी आने के लिए किराया देने की मांग की ।’’

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