हिमाचल सरकार चीड़ की पत्तियों से ईंधन पैदा करने वाली ईंटों का उत्पादन करेगी

हिमाचल सरकार चीड़ की पत्तियों से ईंधन पैदा करने वाली ईंटों का उत्पादन करेगी

हिमाचल सरकार नवीकरणीय ऊर्जा बायोमास (जैव संहति) के वैकल्पिक स्रोत के रूप में चीड़ की पत्तियों को उपयोग में लाएगी। इन पत्तियों का विपरीत प्रभाव कम करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के हिमालयी क्षेत्र के लिए नवोन्मेषी प्रौद्योगिकी केंद्र ने एक नवीन समाधान विकसित किया है। इसमें चीड़ की पत्तियों का उपयोग बायोमास ऊर्जा के विकल्प के रूप में किया जाएगा। इसको लेकर नई मशीन स्थापित की गई है। यह चीड़ की पत्तियों से ईंधन पैदा करने वाली ईंटों इत्यादि का उत्पादन करेगी।

चीड़ की पत्तियों के साथ साथ बांस से जैव-ऊर्जा उत्पादन के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार इस परियोजना में आईआईटी मंडी को सहयोग प्रदान कर रही है। इस मशीन का उपयोग चीड़ की पत्तियों के साथ-साथ अन्य बायोमास की ईंधन ईंटें नई बनाने के लिए किया जाएगा। प्रदेश सरकार के साथ मिलकर आईआईटी, मंडी प्रदेश भर में इस प्रकार के संयंत्र लगाने पर कार्य कर रही है। चीड़ की पत्तियों पर आधारित यह ईंटें पर्यावरण अनुकूल है क्योंकि इनमें सल्फर और अन्य हानिकारक तत्व कम मात्रा में होते हैं।

उन्होंने कहा कि थर्मल पावर, सीमेंट और स्टील जैसे कई क्षेत्र हानिकारक उत्सर्जन को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन के विकल्प तलाश रहे हैं। इसलिए चीड़ की पत्तियों से तैयार ईंधन स्रोतों का वैकल्पिक प्रयोग करने के प्रयास किए जा रहे हैं। विशेष तौर पर मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चीड़ के घने जंगल है। पेड़ों से गिरने के उपरांत चीड़ की पत्तियों से जंगल का अधिकतम भू-भाग ढंक जाता है। चीड़ की यह नुकीली पत्तियां सड़ती नहीं हैं। इससे वनस्पति और वन्य जीवों को बहुत नुकसान पहुंचता है। हालांकि चीड़ की पत्तियों के बायोपॉलिमर के उचित उपयोग से बायोमास ऊर्जा में इनका उपयोग किया जा सकता है।

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