हिमाचल में शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने वाले निजी विश्वविद्यालयो में ख़ौफ़, जयराम सरकार पर टिकी आखरी उम्मीद

शिमला   प्रदेश  की जय राम सरकार इन्वेस्टर मीट के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में निवेश को बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास कर रही है। निवेशकों को सरकार द्वारा प्रदेश में तरह तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया जा रहा है।  जो राज्य व निवेशकों के हित मे है। जयराम सरकार ने तीसरा बजट प्रस्तुत किया जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में बल देने की बात प्रमुखता से कही गयी हैं। प्रदेश में उच्च शिक्षा की धरातल पर क्या वास्तविक स्थिति है? इसकी तहक़ीक़ात करने के लिए  विभिन्न मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधियों ने प्रदेश में खुले कई विश्वविद्यालयों का दौरा किया ।  जहाँ पाया गया कि इन शिक्षण संस्थानों ने प्रदेश में कई एकड़ भूमि पर विश्वविद्यालय परिसरों के निर्णाण व आधुनिक मशीनो पर हज़ारों करोड़ रुपये की इन्वेस्टमेंट की है । कैंपस देखने से लगा कि ये संस्थान  शिक्षा के क्षेत्र में इन्वेस्ट कर अच्छा मुनाफा भी कमाई कर रहे होंगे। जब मीडिया प्रतिनिधियों के समूह ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों व बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स  से प्रदेश में की गई इन्वेस्टमेंट, कोर्सेज, व छात्रों से ली जाने वाली फीस, तथा छात्रवृत्ति योजना पर विस्तृत चर्चा की गई तो उनका दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने मीडिया से मुख़्तिब होते हुए कहा कि पूर्व में भी सरकार ने निवेशकों को ऐसे सब्जबाग दिखाए थे कि हिमाचल के बद्दी क्षेत्र को सरकार चंडीगढ़ से रेलवे कनेक्टिविटी, शॉपिंग मॉल पक्की व साफ सुथरी सड़के बनाकर यूरोप की तर्ज़ पर विकसित करेंगे । ऐसे वायदे के झांसे में आकर बद्दी क्षेत्र में निवेशकों ने विश्वविद्यालय खोलने के लिए कई हजारो करोड़ रुपये का निवेश कर दिया। जब छात्रों ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने शुरू किया तो सरकार ने निजी विश्वविद्यालयो पर 60%से ऊपर अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को ही प्रवेश देने की कैप लगा दी। जबकि सरकारी विश्वविद्यालय के लिए ऐसा नियम नही था। कैप लगने के कारण सैकड़ो छात्रों ने हिमाचल के निजी विश्वविद्यालयो से निकलकर चंडीगढ़ और पंजाब के विकसित शहरो के विश्वविधालयो में प्रवेश लिया। विश्विद्यालय को नुकसान हो जाने के बाद इस कैप को हटा दिया गया। इतना ही नही कई विश्वविद्यालयो की छात्रवृति की रकम 70 से 80 लाख रुपये सरकार की तरफ से देनदारी है । कई छात्रों ने छात्रवृति की रकम अपने खाते में आने के बाबजूद भी विश्वविद्यालय को जमा न करवाई । इस संदर्भ में मजबूरन इन संस्थानों को पुलिस में भी शिकायत दर्ज़ करवानी पड़ी।इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में बड़े इन्वेस्टर्स की हालात दयनीय हो चुकी है।  यदि सरकार समय रहते इन निवेशकों की स्थिति में सुधार लाने के प्रयास न करे तो बड़े पैमाने पर प्रदेश से निवेश जा सकता है। बद्दी क्षेत्र को विकसित न करने व सुबिधाओं के आभाव में कई निवेशक अन्य राज्यों में पलायन कर चुके है। विश्वविद्यालयो के प्रतिनिधियों ने मीडिया को बताया कि जयराम सरकार द्वारा  निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए जो कदम उठाये जा रहे हैं उससे उन्हें आखरी उम्मीद जागी है कि जो निवेशक लम्बे समय से प्रदेश में निवेश कर रहे हैं उनके हितों को सरकार सुरक्षित करने के लिए शीघ्र ही कोई ठोस कदम उठाएगी अन्यथा बद्दी क्षेत्र से पुराने निवेशकों के पलायन करने से नये निवेशकों में आर्थिक नुकसान का ख़ौफ़ उतपन्न होगा जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुदृढ होने के बजाय बिगड सकती हैं।

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