हिमाचल के इस ‘लाल’ ने छोटी उम्र में हासिल की बड़ी उपलब्धि

मंडी : कहते हैं कि कोई बड़ा मुकाम हासिल करने के लिए आपकी उम्र मायने नहीं रखती। मायने रखता है तो आपका हुनर। ऐसे ही अपने हुनर के दम पर हिमाचल के मंडी जिले के 9 साल के कनिष्क शर्मा ने वो मुकाम हासिल कर लिया है जिसे कई साल लग जाते हैं।
जानकारी के मुताबिक कनिष्क शर्मा के पिता दिनेश शर्मा मंडी में एक नीजि कंपनी में कार्यरत हैं। कनिष्क और मनिका ने मात्र 5 वर्ष की आयु से ही शतरंज का खेल खेलना शुरू कर दिया। घर में दादा, पिता और अन्य परिजनों को खेलता देखने के बाद इन दोनों बच्चों के मन में भी इस खेल के प्रति आकर्षण पैदा हुआ। आकर्षण भी कुछ ऐसा कि छोटी सी उम्र में इन दोनों बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कई मेडल अपने नाम कर लिए और तो और कनिष्क शर्मा ने हालही में जालंधर में संपन्न हुई शतरंज की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में ऐसी चालें चली कि उसे अंतरराष्ट्रीय वरियता में स्थान हासिल हो गया। जब अंतरराष्ट्रीय वरियता की घोषणा हुई तो उसमें कनिष्क को 1003वां रैंक मिला है।
कनिष्क का सपना शतरंज के माहीर माने जाने वाले विश्वानथन आनंद के साथ मुकाबला करना है और कनिष्क इस दिशा में आगे बढ़ भी रहा है। वहीं मनिका का सपना शतरंत की ग्रैंड मास्टर बनना चाहती है। कनिष्क शर्मा अंडर-5 स्टेट में एक बार, अंडर-7 में तीन बार, अंडर-9 में दो कैटागरी में प्रथम, स्टेट बलिट्ज में एक बार, अंडर-11 में प्रथम व जिलास्तर पर दर्जनभर प्रतियोगिताओं में विजेता रह चुका है। उसकी बहन मनिका के नाम भी ऐसे ही दर्जनों पुरस्कार हैं। दोनों भाई-बहन घर पर ही पढ़ाई के साथ-साथ शतरंज खेलने के लिए भी समय निकाल लेते हैं या फिर अकेले हों तो आनलाइन चैस खेलकर अपनी निपुणता को बढ़ाते रहते हैं।
परिजनों का मानना है कि प्रदेश में शतरंज जैसे खेल को बढ़ावा देने की दिशा में सरकारी स्तर पर कोई खास कार्य नहीं किया जा रहा है जिसके चलते बहुत से खिलाडि़यों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में शतरंज के बेहतर कोच न होने के कारण इस खेल के खिलाड़ी पिछड़ते जा रहे हैं। कनिष्क और मनिका ने इस खेल में जो मुकाम हासिल किया है उसे हासिल करने में वर्षों बीत जाते हैं लेकिन इनका आगे बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है और इसके लिए इन्हें परिवार की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है।

Related posts