हिमाचल और नगालैंड में मिलेगी वैधानिक मान्यता, परिवार न्यायालय संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी

हिमाचल और नगालैंड में मिलेगी वैधानिक मान्यता, परिवार न्यायालय संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी

नई दिल्ली।
संसद में बृहस्पतिवार को परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी गई। राज्यसभा में विधि व न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने संशोधन विधेयक पेश किया। संशोधन की जरूरत स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि हिमाचल व नगालैंड में परिवार न्यायालयों को बिना वैधानिक प्राधिकार के स्थापित किया गया है। इन दोनों प्रदेशों में पारिवारिक न्यायालयों के न्यायिक क्षेत्राधिकार व प्राधिकार को स्थापित करने के लिए यह संशोधन किया गया है।

पुराने फैसले भी नए कानून से मान्य होंगे
संशोधन विधेयक के जरिये परिवार न्यायालय अधिनियम, 1984 की धार एक की उप-धारा तीन के जरिये हिमाचल प्रदेश में 15 फरवरी, 2019 से और नगालैंड में 12 सितंबर, 2008 से परिवार न्यायालय स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और नगालैंड के परिवार न्यायालयों की तरफ से इन तारीखों से पहले दिए फैसलों को पूर्व प्रभाव से विधिमान्य घोषित करने के लिए धारा 3ए जोड़ी गई है।

परमाणु सुरक्षा
सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बताया, देश में परमाणु सुरक्षा की स्थिति दूसरे कई देशों के मुकाबले बहुत अच्छी है। परमाणु संयंत्रों में पर्याप्त सुरक्षा उपाय मौजूद हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी, परमाणु ठिकानों में आपात स्थिति से निबटने के लिए पहले से तय स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर अपनाया जाता है। उन्होंने बताया कि पहले सिर्फ दक्षिणी राज्यों में परमाणु संयंत्र थे लेकिन अब उत्तरी राज्यों में भी कई संयंत्र काम कर रहे हैं।

पूर्वोत्तर के प्रोजेक्ट
अंतरिक्ष, मौसम, शोध, अध्ययन को लेकर पूर्वोत्तर अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र दो सालों में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 110 परियोजनाओं को पूरा करेगा। अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा, जल, कृषि, वन और पारिस्थितिकी प्रबंधन और विकास, यूएवी रिमोट सेंसिग और आपदा प्रबंधन पर जोर है। सिंह ने बताया कि भारत का उपग्रह आधारित नेविगेशन सिस्टम, अमेरिका के जीपीएस जितना ही दक्ष और गुणवत्तापूर्ण है।

पीएमओ में 12 राज्यों के 14 आईएएस
केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय में 12 राज्यों के 14 आईएएस अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। इनमें से दो-दो अधिकारी गुजरात और बिहार कैडर के हैं जबकि अन्य उत्तराखंड, तेलंगाना, सिक्किम, मणिपुर, महाराष्ट्र, नगालैंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और एजीएमयूटी कैडर के हैं। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी।
चुनावों में नफरत फैलाने वाली खबरों से जुड़े 130 मामले दर्ज
सरकार ने संसद में बताया कि 2019 के लोकसभा और इस साल पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में सोशल मीडिया पर नफरती खबरों से जुड़े 130 मामले दर्ज किए गए। राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि पिछले पांच वर्षों में चुनावों के दौरान डाटा लीक के संबंध में राजनीतिक दलों से कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नफरती समाचारों के 58 मामले आए थे।

2019 के झारखंड चुनाव और 2020 के बिहार चुनाव के दौरान कोई शिकायत नहीं मिली। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐसे 34 मामले सामने आए थे। मंत्री ने कहा, पिछले साल असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी चुनावों में नफरती समाचारों के 29 मामले दर्ज हुए थे। इस साल की शुरुआत में गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के नवीनतम दौर के दौरान ऐसे मामलों की संख्या आठ थी।

व्यवस्था के प्रश्न को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा
राज्यसभा में व्यवस्था के प्रश्न (पॉइंट ऑफ आर्डर) उठाने को लेकर पूरे दिन हंगामा होता रहा। जहां विपक्षी सदस्यों ने नियम कानूनों का हवाला दिया, वहीं उपसभापति हरिवंश ने व्यवस्था दी कि ये नियम अभी के नहीं हैं। उन्होंने कहा, सदन में संबंधित विषय से संबंधित प्रश्न उठाएंगे तो जरूर मौका दूंगा। उन्होंने 2006 और 1990 के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि रूल बुक के नियम संविधान के तहत ही बने हैं।

दोपहर बाद कांग्रेस के जयराम रमेश ने नियम 258 के तहत पॉइंट ऑफ आर्डर उठाना चाहा, लेकिन सभापति ने नियमों का हवाला देकर उन्हें मना कर दिया। वहीं डीएम के के तिरुचि शिवा ने नियमों का हवाला देकर सदस्यों के अधिकार का हवाला दिया।उपसभापति ने कहा, जो बिजनेस हाउस के सामने हैं, उसी पर पॉइंट ऑफ आर्डर हो सकता है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रूल 187 के तहत संविधान के अधिकारों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि नियम 145 के तहत हमें बोलने की आजादी का अधिकार है।
आयातित सैन्य सामग्री पर निर्भरता घटाने के लिए डीआरडीओ को सराहा
एक संसदीय समिति ने मिसाइल, रडार सहित अन्य प्रमुख सैन्य प्रणालियों के आयात को घटाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की सराहना की। डीआरडीओ ने रक्षा सामग्री के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देते हुए इसमें सफलता हासिल की। रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने हालांकि डीआरडीओ को 2021-22 के लिए आवंटित धनराशि में 3,002 करोड़ रुपये की कमी करने के लिए सरकार पर निशाना साधा। जुएल ओरांव की अध्यक्षता वाली समिति की 13वीं रिपोर्ट बृहस्पतिवार को संसद में पेश की गई। समिति में कांग्रेेस सांसद राहुल गांधी समेत 30 सदस्य शामिल हैं।

सिर्फ प्रचार पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का ज्यादा पैसा खर्च न करे सरकार
संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) योजना के विज्ञापनों पर मोटी रकम खर्च करने से बचना चाहिए। शिक्षा व स्वास्थ्य में नियोजित व्यय आवंटन पर ध्यान देने की जरूरत है। महिला अधिकारिता समिति (2021-22) की छठी रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश की गई। पैनल ने नोट किया कि योजना के लिए 2016 से 2019 के दौरान 446.72 करोड़ जारी किए गए। इसमें से 78.91 प्रतिशत रुपये केवल मीडिया वकालत पर खर्च किए।

पैनल ने कहा कि पिछले छह वर्षों में बीबीबीपी योजना लड़कियों के महत्व के प्रति राजनीतिक नेतृत्व और राष्ट्रीय चेतना का ध्यान आकर्षित करने में सक्षम रही है। लिहाजा, योजना के तहत शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित परिणामों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अन्य पर ध्यान केंद्रित करने का समय है। समिति के मुताबिक, यह योजना पिछड़े क्षेत्रों में बाल लिंगानुपात में सुधार और बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करने में काफी कारगर है।

ऑनलाइन पोर्टल को विकसित करने की जरूरत
पैनल ने सिफारिश की है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय राष्ट्रीय, राज्य और जिलों की टॉस्क फोर्स के बैठकों की समीक्षा करें। गांव स्तर तक निगरानी के लिए ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल को विकसित करना चाहिए।

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