हालात : अब 700 से ज्यादा आईसीयू और वेंटिलेटर हैं खाली, 31 दिन में बदली तस्वीर

हालात : अब 700 से ज्यादा आईसीयू और वेंटिलेटर हैं खाली, 31 दिन में बदली तस्वीर

नई दिल्ली
31 दिन में दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल के हालात ऐसे बदले कि अब वहां बिस्तर ही बिस्तर हैं। 30 अप्रैल को जब लोकनायक अस्पताल का दौरा किया गया तो उस दौरान वहां एक भी आईसीयू बेड खाली नहीं था। न ही ऑक्सीजन वाला बिस्तर। हालात यह थे कि मरीज अस्पताल के बाहर ही अपनी गाडिय़ों और एंबुलेंस में लेटे इलाज के लिए तड़प रहे थे लेकिन अब ऐसे हालात नहीं है। बीते 31 दिन में हालात बहुत कुछ बदल चुके हैं। 

अब स्थिति यह है कि यहां 700 से ज्यादा आईसीयू बिस्तर खाली पड़े हैं और ऑक्सीजन वालों की तो कोई कमी नहीं है। 75 दिन में पहली बार बीते रविवार की रात ऐसी देखने को मिली है जब एक भी मरीज आईसीयू के लिए अस्पताल नहीं आया। डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें ऐसी तस्वीर देखने में काफी सुकून मिल रहा है। अब पांच डॉक्टर मिलकर एक कोरोना मरीज का इंतजार कर रहे हैं। 

जानकारी के अनुसार सोमवार दोपहर को लोकनायक अस्पताल में दो हजार बिस्तर थे जिनमें से एक हजार आईसीयू-वेंटिलेटर वाले हैं। इनमें से 759 खाली पड़े थे। जबकि 943 ऑक्सीजन बिस्तर भी खाली हैं। यहां हर बिस्तर पर ऑक्सीजन की सुविधा है। बीते 30 अप्रैल से इसी अस्पताल की तुलना करें तो उस दौरान यहां कुल बिस्तरों की क्षमता 1500 थी जिनमें 200 वेंटिलेटर और 400 आईसीयू बेड थे। उस दोरान यहां एक भी बिस्तर खाली नहीं था। इसी के चलते सरकार ने यहां बिस्तरों की कुल क्षमता को बढ़ाकर दो हजार कर दिया था लेकिन अब मरीज न मिलने की वजह से कुल बिस्तरों की संख्या इतनी ही है। 

आईसीयू कोविड सेंटर भी खाली
करीब चार सप्ताह तक मरीजों को जब अस्पतालों में जगह नहीं मिली तो सरकार ने आईसीयू कोविड सेंटर शुरू करने का फैसला लिया था जिसे शुरू होने में इतना वक्त लगा कि महामारी की लहर का पीक गुजर चुका था। इसीके चलते यह सेंटर कभी फुल नहीं दिखाई दिए। जीटीबी और लोकनायक अस्पताल के पास रामलीला मैदान में बने 500-500 बिस्तर वाले इन सेंटर को अब मरीजों का इंतजार है। 

दूसरे अस्पतालों में भी हालात ऐसे
लोकनायक की तरह एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, राजीव गांधी, डीडीयू सहित अन्य दूसरे अस्पतालों में भी ऐसे ही हालात हैं। यहां भी कोरोना मरीजों की संख्या कम होने के बाद बिस्तर खाली पड़े हैं। प्राइवेट अस्पतालों ने संक्रमण के मामले तेजी से कम होता देख बिस्तरों को हटाना भी शुरू कर दिया है ताकि नॉन कोविड मरीजों के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सके। 

मैंने कभी नहीं देखी ऐसी रात
आरएमएल अस्पताल के डॉ. विवेक कुमार का कहना है कि उन्हें यहां प्रैक्टिस करते हुए सात वर्ष होचुके हैं। कोरोना से पहले भी ऐसा कोई दिन नहीं था जब आपातकालीन वार्ड में कोई मरीज गंभीर हालात में रात को न पहुंचा हो लेकिन अभी स्थिति कुछ और ही है। उन्होंने पहली बार रविवार की रात को देखा कि एक भी गंभीर मरीज उनके यहां इलाज के लिए नहीं पहुंचा। चूंकि उनकी ड्यूटी कोविड में थी इसलिए कोविड का कोई गंभीर मामला नहीं आया लेकिन गैर कोरोना रोगियों में भी उन्हें कोई गंभीर मरीज देखने को नहीं मिला।

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