स्विस बैंक के 696 भारतीय खातों का राज खुला

आयकर विभाग को बड़ी संख्या में भारतीयों के स्विस बैंक खातों की जानकारी मिली है। इसमें देश के कई प्रमुख महानगरों के खाताधारकों के नाम और उनके नाम से जमा करोड़ों की रकम का पूरा ब्यौरा है। इस सूची में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल छह खाते हैं, जिनमें एक अरब से ज्यादा रकम जमा है। इनकी पड़ताल शुरू कर दी गई है। विभाग के अधिकारियों ने टैक्स वसूली का काम भी शुरू कर दिया है। इन खातों के बारे में और जानकारी मुहैया कराने के लिए वित्त मंत्रालय को पत्र भी लिखा गया है।

आयकर विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी मुहैया कराने में एचएसबीसी बैंक के एक बर्खास्त कर्मचारी ने अहम रोल अदा किया। इस बर्खास्त कर्मचारी ने 696 भारतीय खातों के अकाउंट नंबर, उनके बैलेंस, खाताधारक का पता आदि की जानकारी अफसरों को दी। इस सूची में यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के खाताधारकों के नाम हैं।

उत्तर प्रदेश के कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, आगरा के पांच और देहरादून का एक खाताधारक है। इन छह खातों में लगभग सवा सौ करोड़ की रकम जमा है। देहरादून के खाताधारक के यहां आयकर अफसरों ने बीते दिनों छापा भी मारा था। सूत्रों के मुताबिक उसके स्विस बैंक खाते में दो करोड़ रुपए थे, जो उसके स्कॉटलैंड निवासी एक रिश्तेदार की मृत्यु के बाद संपत्ति बेचकर जुटाए गए थे। इस रकम को स्कॉटलैंड में ही एक खाता खोलकर जमा कर दिया गया। आयकर अधिकारियों ने दो करोड़ की रकम पर लगभग 60 लाख रुपए का टैक्स भी खाताधारक से वसूला है।

वहीं कानपुर का खाताधारक चमड़ा उद्योग से जुड़ा है। खाते में उसने चमनगंज के एक मकान का पता दिया है। बेहद संकरी गली में स्थित इस मकान पर जब टीम पहुंची तो वहां उस नाम का व्यक्ति नहीं मिला। परिस्थितियां देखकर यह माना जा रहा है कि यह खाता फर्जी नाम-पते पर खुलवाया गया है। अन्य चार खाताधारकों की छानबीन की जा रही है।

अधिकारियों के मुताबिक सभी 696 खातों में उन्हें एक नियत तिथि के बैलेंस की जानकारी मिली थी। अब वित्त मंत्रालय की फॉरेन टैक्स एंड टैक्स रिसर्च विंग को इन सभी खातों के पूर्व के स्टेटमेंट दिलवाने के लिए पत्र लिखा गया है। ताकि इससे पूर्व हुए लेनदेन की पड़ताल करके कर वसूली की जा सके। साथ ही पूर्व के वर्षों में कर चोरी पाए जाने पर पेनाल्टी और प्रॉसीक्यूशन की कार्रवाई भी की जा सके। हालांकि आयकर निदेशक (जांच) एके त्रिपाठी ने इस बारे में कोई जानकारी होने से इंकार किया है।

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