उत्तराखंड ओबीसी जनरल इंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष दीप जोशी का कहना है कि न्यायालय में सरकार ने अपना रुख पूरी तरह से साफ कर दिया कि वह प्रमोशन में आरक्षण देने के पक्ष में नहीं है। सरकार की ओर से अदालत में सरकार का तर्क था कि वह प्रमोशन में आरक्षण नहीं देना चाहती, इसलिए उसे आंकड़े जुटाने की आवश्यकता नहीं है।
प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उसे लागू करना प्रदेश सरकार की बाध्यता हो जाएगी। नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक अप्रैल 2019 को प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगाने वाले आदेश को निरस्त कर दिया था।
कई हीने से प्रमोशन लटके
उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद उत्तराखंड एससी एसटी इम्प्लाइज फेडरेशन ने 2006 की अधिसूचना के तहत प्रमोशन में आरक्षण लागू करने की मांग उठाई। प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के बाद डीपीसी और पदोन्नतियों पर तत्काल रोक लगा दी। करीब कई महीने से प्रदेश में प्रमोशन नहीं हुए हैं। सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है। उसका कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण के बारे में फैसला करने का अधिकार प्रदेश सरकार का है।