सी.एम. के सलाहकार के सामने खुली पोल

लुधियाना: नगर निगम द्वारा उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल का ड्रीम प्रोजैक्ट बताकर बनाई जगराओं पुल से नहर तक फिरोजपुर रोड की 8 लेनिंग संबंधी योजना की लागत में भारी इजाफा होने का विवाद अभी शांत नहीं हुआ था कि अब यह राशि कम घटने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

निगम द्वारा राईट्स से बनवाई डी.पी.आर. के मुताबिक इस करीब 4 किलोमीटर हिस्से में सर्विस लेन व पार्किंग ब्लाक के अलावा भारत नगर चौक, भाईबाला चौक व मल्हार रोड टी प्वाइंट पर अंडरपास भी बनने हैं। जिसकी लागत पहले 150 करोड़ मानकर हुडको से लोन लेने संबंधी रिपोर्ट में डाला गया था। जो आंकड़ा टैंडर लगने पर सीधा 220 करोड़ पर पहुंच गया है। जिसे लेकर पैदा हुआ विवाद अभी भी शांत नहीं हुआ है।

इसके बचाव में निगम अफसर फुटओवर ब्रिजेज बनवाने, लैंडस्केपिंग करवाने, दिशासूचक बोर्ड लगवाने, जनसुविधाओं व 5 साल तक मैंटीनैंस के अलावा पेड़ों, बिजली-टैलीफोन के खंभों, पानी-सीवरेज की लाइनों की शिफ्टिंग का खर्च भी शामिल होने का हवाला दे रहे हैं। जबकि इससे एक किलोमीटर कम हिस्से वाली नहर से निगम सीमा तक की ग्लाडा द्वारा करवाई जा रही 8 लेनिंग पर आई लागत से मिलान किया जाए तो वहां सड़क, पार्किंग व सर्विस लेन पर करीब 25 करोड़ खर्च होने की बात अधिकारी कह रहे हैं।

जहां निगम की तर्ज पर सुविधाओं के विस्तार हेतु ग्लाडा ने करीब 5 करोड़ की लागत से अलग करके लगाए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सड़क बनाने पर 10 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर व अंडरब्रिज के निर्माण पर ज्यादा से ज्यादा 30 करोड़ पर लागत आ सकती है। नए टैंडर का मिलान करने के लिए लुधियाना में ही फिरोजपुर रोड से नहर के साथ दोराहा तक बन रही 26.9 किलोमीटर की एक्सप्रैस मौजूद है। जिसमें सड़क के कई अलावा कई जगह एलीवेटिड रोड, अंडरब्रिज, रेलवे ओवरब्रिज बनाने के अलावा नहर को पक्का करने का काम 328 करोड़ में हो रहा है।

यह खुलासा ‘पंजाब केसरी’ ने सबसे पहले 22 जुलाई को किया था। इन पहलुओं के मद्देनजर चीफ इंजीनियर ने तकनीकी मंजूरी देते हुए रोड वर्क में सी.एस.आर. रेट लगाने के अलावा प्राइवेट क्वालिटी कंट्रोल कंस्लटैंट रखने पर प्रोजैक्ट की एक फीसदी लागत आरक्षित करने की शर्त भरी हटा दी है। क्योंकि यह काम राईट्स के एग्रीमैंट में ही है और अब 5 साल की मैंटीनैंस भी कंपनी ने करनी है। इसी तरह बिजली के खंभों व तारों को शिफ्ट करने का अनुमानित एस्टीमेट 16 से घटकर 10.50 करोड़ रह गया है।

ऐसा ही मामला पानी-सीवरेज सिस्टम की शिफ्टिंग का एस्टीमेट भी आइटम वाइज बनने से आंकड़ा 10 से घटकर 8 करोड़ हो गया है। इस सारी कवायद के चलते प्रोजैक्ट की लागत में 12 करोड़ की कमी आई है। जिससे साफ हो गया कि लागत बढऩे के पीछे सीधे तौर पर लापरवाही जिम्मेदार है। यह जानकारी राईट्स के विशेषज्ञों ने आज हुई उच्चस्तरीय मीटिंग में दी। जिस दौरान सी.एम. के तकनीकी सलाहकार वी.के. भट्ट, मेयर, कमिश्नर, चीफ इंजीनियर लक्ष्मण दास, सीनियर डिप्टी मेयर मेयर सुनीता अग्रवाल, डिप्टी मेयर आर.डी. शर्मा, एडीश्रल कमिश्नर सुमित जारंगल व अन्य अफसरों के सामने दी। लेकिन उपरोक्त पहलुओं को नजरअंदाज करने के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई बारे किसी ने कुछ नहीं कहा।

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