आम आदमी पार्टी से बातचीत टूटने के बाद बाजवा ही कांग्रेस और सिद्धू के बीच मध्यस्थ बनकर उभरे हैं। बाजवा सिद्धू के जरिए कैप्टन को पटखनी देने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं क्योंकि कैप्टन ने भी बाजवा को पी.पी.सी.सी. की कुर्सी से हटाकर खुद बैठकर अपना वर्चस्व साबित कर दिया था।
बाजवा अब सिद्धू को कैप्टन के सिर पर बैठाकर अपनी चाल चल रहे हैं। सिद्धू को डिप्टी सी.एम. पोस्ट की पेशकश करने का प्रस्ताव भी बाजवा की तरफ से ही आया है और बाजवा व प्रशांत किशोर सिद्धू के मामले में एकजुट हैं।
शुक्रवार को बाजवा ने कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाते हुए कहा कि इस बार पार्टी को 2012 की तरह गलती नहीं करनी चाहिए, जब पार्टी ने मनप्रीत बादल से गठबंधन करने से इंकार कर दिया था जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा था पर दिल्ली बैठी कांग्रेस सिद्धू पर कोई फैसला लेने से पहले अमरेंद्र को भी विश्वास में लेना चाहती है।