सातवें वेतनमान के लिए तरसते रहे पौने दो लाख कर्मचारी

सातवें वेतनमान के लिए तरसते रहे पौने दो लाख कर्मचारी

शिमला
हिमाचल प्रदेश के पौने दो लाख कर्मचारियों को पूरा साल सातवें वेतनमान के लिए तरसना पड़ा। सरकार तीन साल के कार्यकाल में कर्मचारियों के मसले सुलझाने को संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक नहीं बुला पाई। कर्मचारी लंबे से मांग कर रहे हैं कि जिस तरह अन्य राज्यों को केंद्रीय वेतनमान से जोड़ा गया है, उसी तरह से हिमाचल के कर्मचारियों को भी केंद्रीय वेतनमान से जोड़ा जाए। यह मामला वर्ष 2020 में भी लंबित रहा। 

प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर संशोधित वेतनमान दिया जाता रहा है। पंजाब सरकार ने कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान नहीं दिया है। यही कारण है कि प्रदेश के पौने दो लाख कर्मचारी केंद्र के साथ संशोधित वेतनमान की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड सहित देश के अन्य राज्य केंद्र के साथ ही संशोधित वेतनमान देते रहे हैं। प्रदेश के कर्मचारियों को अंतरिम राहत तीस फीसदी राशि दी जा रही है, लेकिन संशोधित वेतनमान नहीं दिया गया।
 
वहीं, संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक भी तीन साल से नहीं बुलाई गई। दर्जनों मुद्दे लंबित पड़े हैं। इनमें अनुबंध अवधि घटाने, टाइम स्केल देने, विभागों में पदोन्नति देने, रिक्त पदों को भरने जैसे मामले लटके रहे। हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि वर्ष 2020 में भी कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान नहीं मिला। केंद्रीय वेतनमान से हिमाचल के कर्मचारी नहीं जोड़े गए और न ही तीसरे साल भी जेसीसी बुलाई जा सकी। 

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