सरकार कर रही है स्पैक्ट्रम का रिजर्व प्राइज कम करने की तैयारी

टू-जी स्पैक्ट्रम की नीलामी में विफलता के बाद सरकार अब इसका रिजर्व मूल्य कम करने पर विचार कर सकती है। मगर सरकार ने टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी से विचार-विमर्श के बाद ही अपना अगला कदम उठाएगी।

सनद रहे कि सर्वो”ा न्यायालय भी टू-जी स्पैक्ट्रम स्पैक्ट्रम की नीलामी पर नजर रखे हुए था, क्योंकि न्यायालय के आदेश पर 122 लाइसेंस रद्द कर दोबारा नीलामी की गई थी। सीएजी का कहना था कि 2008 में टू-जी मामले पर सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर सर्वो”ा न्यायालय ने पुराने लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

अब सरकार टू-जी स्पैक्टम का रिजर्व प्राइज कम करने पर विचार कर रही है। स्पैक्ट्रम बेचकर सरकार 40000 करोड़ रुपये कमाने के विचार में थी। लेकिन नीलामी से सरकार सिर्फ 9200 करोड़ रुपये ही जुटा पाई।

संचार मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि स्पैक्ट्रम की कीमतों को बाजार के हवाले छोड़ देना चाहिए। बाजार में के काम में किसी भी पक्ष की दखलअंदाजी ठीक नहीं है।

जीएसएम कंपनियों के संगठन सीओएआई के राजन मैथ्यू के अनुसार ऊंचा रिजर्व प्राइज स्पैट्रम की नीलामी की विफलता का बड़ा कारण है। ऊंचे दाम से कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढऩे की आशंका थी।

राजन मैथ्यू का कहना है कि कंपनियों ने सरकार को पहले ही आगाह किया था। लेकिन सरकार ने कंपनियों की दलील को नजरअंदाज करते हुए हड़बड़ी में स्पैक्ट्रम की नीलामी करवाई।

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